विदर्भ

दो रूपये फीस व एक चिठ्ठी पर हो जाते थे चुनाव

पांच दशक पुरानी यादें, दो तहसीलों में थी 73 सेवा सहकारी संस्था

धामणगांव रेल्वे/दि.11 – गांव में एक चिठ्ठी भेजने पर सभी सदस्य खुद को मिले संदेश के अनुसार मतदान किया करते थे तथा महज दो रूपये के खर्च में चुनाव पूरा हो जाता था. कौनसा उम्मीदवार जीतकर आया है, इसकी जानकारी मतदाताओं को करीब आठ से दस दिन बाद हुआ करती थी और उस समय चांदूर रेल्वे व धामणगांव रेल्वे इन दो तहसीलों में 73 सेवा सहकारी संस्थाएं थी. ये तमाम बातें और यादें करीब पांच दशक पुरानी है तथा इन पांच दशकों में सबकुछ काफी तेजी से बदल गया. साथ ही अब यह तमाम बातें काल्पनीक सी लगती है.
इस समय अमरावती जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के चुनाव की नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद एक-एक वोट के लिए सभी प्रत्याशियों द्वारा काफी दौडभाग की जा रही है और समय पडने पर उम्मीदवारों को वोटों के लिए कीमत भी अदा करनी पडती है. किंतु पांच दशक पहले पैसे की बजाय उम्मीदवार के शब्द को कीमत हुआ करती थी और उस समय चांदूर रेल्वे तहसील के चिंचोली, झाडगांव, तलनी, नायगांव व दिघी महल्ले इन गांवों का जिले के सहकार क्षेत्र में डंका बजा करता था.

पहले संचालक थे पूर्व विधायक भाउसाहब जाधव

चांदूर रेल्वे निर्वाचन क्षेत्र के 10 वर्ष तक विधायक रहे भाउसाहब जाधव जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के पहले संचालक थे. उनका कार्यकाल करीब 25 वर्ष चला और उन्होंने सभी सेवा सहकारी संस्थाओें को नियमित रूप से कर्ज उपलब्ध कराया. उसके साथ ही भाउसाहब जाधव ने कई वर्षों तक महाराष्ट्र को-ऑप. बैंक के प्रतिनिधि के तौर पर भी काम किया. पश्चात चांदूर रेल्वे व धामणगांव रेल्वे तहसील से बाबासाहब कडू संचालक चुने गये. वहीं झाडगांव के फत्तेसिंह मोरे, यशवंतराव सराड, नायगांव के बालासाहब सिसोदे, दिघी महल्ले के गजानन महल्ले भी सहकार क्षेत्र में काफी सक्रिय थे.

विजय भैसे के कार्यकाल में 200 किसानों को कुएं व मवेशी पालकों को कर्ज

धामणगांव तथा चांदूर तहसीलों 73 सेवा सहकारी संस्थाओं को सही मायनों में वर्ष 1990 के दौरान जबर्दस्त गति मिली, जब विजय भैसे संचालक बने और उन्होंने सेवा सहकारी संस्था की कर्ज मर्यादा को बढाया. उन्होंने बैंक व सेवा सहकारी संस्था के जरिये 200 किसानों को सिंचाई हेतु कुएं उपलब्ध कराये. जिससे दोनों तहसीलों में जलसिंचन क्रांति साकार हुई. कुएं के साथ ही कृषि पंप हेतु विद्युत आपूर्ति बेहद जरूरी थी. ऐसे में विजय भैसे ने राज्य सरकार से कृषि पंपों हेतु बिजली कनेक्शन का प्रस्ताव भी मंजूर कराया. इसके अलावा उस दौरान सेवा सहकारी संस्थाओं के मार्फत पशुपालकों को भी कर्ज उपलब्ध कराया गया था.

अब 2 हजार रूपये का शुल्क

पांच दशक पहले अमरावती जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक का चुनाव केवल दो रूपये का नामांकन शुल्क भरकर लडा जाता था. वहीं अब नामांकन शुल्क 2 हजार रूपये हो गया है. उस समय सेवा सहकारी संस्था के सभी संचालकों को जिला बैंक के चुनाव में मतदान करने का अधिकार हुआ करता था. जबकि अब सेवा सहकारी संस्थाओं द्वारा मतदान हेतु अपना प्रतिनिधि तय किया जाता है. जिसके बाद सोसायटी की ओर से मतदान करने का अधिकार होता है. धामणगांव तहसील में भाउसाहब जाधव, बाबासाहब कडू, विजयराव भैसे, कभी भी बैंक का फोन प्रयोग में नहीं लानेवाले और किसानों को न्याय देनेवाले विलास जाधव, भारतसिंह यादव व सुरेश महल्ले संचालक हो चुके है.

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