वर्धा के हिंदी विद्यापीठ में फर्जी पदवीदान
नैशनल मुव्हमेंट स्टूडन्ट फ्रन्ट ने की निलंबन की मांग
वर्धा/दि.20 – महात्मा गांधी आंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलगुरु रजनीशकुमार शुक्ला पर फर्जी पदवी वितरण व वाड्मय चौर्य मामले में निलंबन की कार्रवाई करना चाहिए, इस तरह की मांग विद्यापीठ के नैशनल मुव्हमेंट स्टूडन्ट फ्रन्ट की शाखा ने राष्ट्रपति, शिक्षामंत्री विद्यापीठ अनुदान आयोग के साथ ही राज्यपाल को निवेदन व्दारा की है.
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में 2004 से 2014 के बीच फर्जी पदवी वितरण घोटाला मामले में एसआईटी व्दारा जांच की गई. इसमें 19 शिक्षकों समेत महात्मा गांधी हिंदी विश्वविद्यालय के कुलगुरु रजनीशकुमार शुक्ला दोषी पाये गए है. इसके अलावा 1995 में बनारस हिंदू विद्यापीठ में पीएचडी तत्वज्ञान विभाग में किये गए पीएचडी शोध प्रबंधक संदर्भ में भी रजनीशकुमार शुक्ला पर सुधा पांडे ने आरोप किये है.
रजनीशकुमार शुक्ला ने 1991 में तत्वज्ञान विभाग में अपना संशोधन पूर्ण किया था. लगभग 80 प्रतिशत वाड्मय चौर्य 1995 के संशोधन में किया, ऐसा ही प्रा.सुधा पांडे ने कहा है. इसके लिए प्रा.शुक्ला को तत्काल निलंबित करना चाहिए, इस तरह की मांग नैशनल मुव्हमेंट स्टूडन्ट फेडरेशन के राष्ट्रीय संयोजक किशन पाठक ने की है. फर्जी पदवी वाटप और वाड्मय चौर्य का आरोप रहने वाले शुक्ल को कुलगुरु के रुप में कायम रखा तो शैक्षणिक क्षेत्र का अपमान होगा, ऐसा भी पाठक ने कहा है.
- संपूर्णानंद संस्कृत विद्यापीठ, वाराणसी में 23 मार्च 2011 को कार्यकारी कुलसचिव का पदभार स्वीकारा और उसी दिन से फर्जी पदवी का सत्यापन कर संबंधितों की जांच की और एक सप्ताह के भितर पुलिस में शिकायत दर्ज की. एसआईटी की रिपोर्ट में ही उसका विवरण दिया है. विभागीय जांच के लिए समिति भी गठित की थी. जांच के बाद दोनों कर्मचारियों को निलंबित किया गया तथा उन्हें गिरफ्तार भी किया गया. इस मामले में मुझे निर्दोष मुक्त किया गया है और वैसी एसआईटी ने रिपोर्ट भी दी है.
– रजनीशकुमार शुक्ल, कुलगुुरु
महात्मागांधी आंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्व विद्यालय वर्धा