विदर्भ

कर्मचारियों की मृत्यु पश्चात फैमिली पेन्शन से रिकव्हरी नहीं की जा सकती

मुख्य न्यायमूर्ति का महत्वपूर्ण निर्णय; जि.प. को रकम लौटाने के निर्देश

नागपुर/दि.15 – विभागीय जांच के पश्चात कृषि अधिकारियों की फॅमिली पेन्शन से की गई वसुली यह नियमबाह्य होकर व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद कर्मचारियों के रिश्ते संपुष्ट में आते हैं, इसलिए पेन्शन से वसूल किए गए सात लाख रुपए तीन माह में लौटाये. दी गई अवधि में रकम न लौटाने पर 12 प्रतिशत ब्याज से रकम लौटानी पड़ेगी. ैसी चेतावनी चंद्रपुर जिला परिषद को मुंंबई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने दी. इस मामले में नागपुर खंडपीठ में न्या. दीपांकर दत्ता एवं न्या. विनय जोशी के समक्ष सुनवाई के दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण निर्देश दिए.
कविता अण्णा पेंदाम यह याचिकाकर्ता महिला का नाम है. कविता के पति अण्णा पेंदाम 1996 में विस्तार अधिकारी पद पर चंद्रपुर जिला परिषद में नौकरी पर लगे थे. पश्चात 2006 से कृषि अधिकारी के रुप में उनकी पदोन्नति हुई थी. इस समय में उन्होंने किसान व पतसंस्थाओं को औजार वितरित किये थे. इन औजारों के वितरण के बाद 2007 व 2008 दरमियान वसुली करना शुरु किया गया था. दरमियान 2007 में कविता के पति अण्णा पेंदाम का निधन हो गया. उनके खिलाफ तीन महीने में विभागीय जांच शुरु की गई. उन पर अफरातफरी करने का आरोप लगाया गया था. 12 लाख 95 हजार रुपए की अण्णा पेंदाम पर वसुली निकाली गई थी. जिसके चलते कविता ने 2008 व 29 सितंबर 2009 में चंद्रपुर जिला परिषद को पत्र दिया था और 2007 में उनकी मृत्यु हो गई. इसके बाद भी जिला परिषद ने उनकी पेन्शन में से सात लाख रुपए वसुली की. इसलिए उन्होंने हाईकोर्ट में एड. शिल्पा गिरटकर के मार्फत याचिका दाखल की. दोनों पक्षो को सुनने के बाद मुख्य न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने जि.प. को आदेश दिए कि पेन्शन में से सात लाख रुपए वसुल किए गए तीन महिने में कविता पेंदाम को लौटाये जाये. तीन महीने में वसुल की गई रकम नहीं लौटाये जाने पर 12 प्रतिशत ब्याज से कविता को लौटाई जाये, ऐसी चेतावनी दी.
जि.प. द्वारा की गई वसुली यह नियमबाह्य होकर उनके खिलाफ विभागीय जांच नहीं की जा सकती, ऐसा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है. कविता पेंदाम की ओर से एड. शिल्पा गिरटकर ने पैरवी की.

व्यक्ति की मृत्यु पश्चात कर्मचारी के रिश्ते संपुष्ट में

राजेश्वरी देवी के खिलाफ उत्तर प्रदेश इस प्रकरण में 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मृत व्यक्ति ने नाम से विभागीय जांच सजा हो नहीं सकती. व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद उनका कर्मचारी के रुप में रिश्ता संपुष्ट में आता है.

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