विदर्भ

किसान पिता-पुत्र का चार दिन बाद अनशन समाप्त

प्रहार तहसील प्रमुख के प्रयास सफल

चांदूर बाजार/ दि.11 – तत्कालीन पटवारी व अन्य व्यक्ति ने मिलीभगत कर अनशनकर्ता किसान के 7/12 में खोड़तोड़ कर सर्वे नंबर व क्षेत्र में बदलाव किया और उसे दो हिस्सों में विभाजित किया. इतना ही नहीं तो मृत महिला का नाम हेराफेरी कर खेत के दस्तावेजों में लिखकर धोखाधड़ी की. इसके खिलाफ न्याय की मांग को लेकर तहसील कार्यालय के सामने अनशन कर रहे किसान पिता-पुत्र ने प्रहार तहसील प्रमुख संतोष किटुकले की मध्यस्थता के पश्चात अनशन खत्म किया.
तहसीलदार धीरज स्थूल व नायब तहसीलदार प्रथमेश मोहोड़ के हाथों निलेश बैले को नींबू पानी पिलाकर अनशन छुड़वाया गया. तहसील के ग्राम वाठोड़ा निवासी दिगंबर बैले के खेत का 7/12 बदलकर गलत पंजीयन कर उनके खेत पर दूसरों के नाम डाल दिए. उसमें कुआं व आम के पेड़ का उल्लेख रहते हुए भी उसमें फेरफार किया गया. भागीरथी की मृत्यु वर्ष 1979 में होने के बाद उनका नाम 180-81 से 7/12 पर लगाया गया. जाली दस्तावेज बनाकर पटवारी के साथ मिलीभगत कर इस गोरखधंधे को अंजाम दिया गया है. इसकी जांच कर न्याय की मांग बैले ने कई बार की. साथ ही तत्कालीन पटवारी व अशोक ठाकरे के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, लेकिन इसकी दखल नहीं ली गई. न्याय की मांग पर दिगंबर गोमाजी बैले नामक वृद्ध किसान ने अपने परिवार के साथ तहसील कार्यालय के सामने 5 फरवरी से अनशन शुरू किया. अनशन के तीसरे दिन दिगंबर बैले की तबीयत बिगड़ने से उन्हें सामान्य अस्पताल में भर्ती किया गया तो उसी समय से उनके पुत्र निलेश ने अनशन शुरू किया.
विधायक बच्चू कडू के निर्देशों के अनुसार प्रहार तहसील प्रमुख संतोष किटुकले ने तहसीलदार धीरज स्थुल से मिलकर बातचीत की. बाद में तहसीलदार स्थुल, नायब तहसीलदार प्रथमेश मोहोड़, निलेश ढगे, अमोल सोनोने, प्रवीण निंभोरकर, निलेश बैले से मिलकर 30 दिन के भीतर मामले की जांच कर न्याय दिलाने का आश्वासन दिया. उसके बाद निलेश ने नींबू पानी पिकर अनशन खत्म किया. 30 दिन के भीतर समस्या का निराकरण नहीं हुआ तो बैले के साथ मैं भी अनशनकरूंगा, ऐसा इशारा संतोष किटुकले ने प्रशासन को दिया है.

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