विदर्भ

किसान ‘वेट अ‍ॅन्ड वॉच’ की भूमिका रखकर कपास की बिक्री करें

अतिरिक्त लंबे धागे के कपास पर आयात शुल्क रद्द

* केंद्र सरकार के निर्णय से किसान चिंतित
नागपुर/दि.21– केंद्र सरकार ने अतिरिक्त लंबे धागे के कपास पर 11 प्रतिशत आयात शुल्क रद्द करने का निर्णय लिया है. इस कारण मध्यम और लंबे धागे के कपास के भाव थोडे दबाव में आ गए है. सरकार के इस निर्णय का मध्यम व लंबे धागो के कपास के भाव पर ज्यादा असर नहीं होगा. इस कारण किसानों को बाजार के भाव पर नजर रख भयभीत होकर कपास की बिक्री नहीं करनी चाहिए. ‘वेट अ‍ॅन्ड वॉच’ की भूमिका रखकर ही किसानों ने कपास की बिक्री करना चाहिए.

केंद्र सरकार ने सोमवार 19 फरवरी को नोटिफिकेशन जारी करते हुए अतिरिक्त लंबे धागे के कपास पर 11 प्रतिशत आयात शुल्क रद्द करने की घोषणा की और यह निर्णय मंगलवार 20 फरवरी से लागू किया. इस कारण मंगलवार को देश के बाजार में कपास के भाव थोडे दबाव में आ गए थे. भारत में 98 प्रतिशत उत्पादन मध्यम, लंबे और लंबे धागे के कपास के थे. देश में अतिरिक्त लंबे धागे के कपास का उत्पादन केवल दो प्रतिशत था. आवश्यकता पूरी करने के लिए यह कपास हर वर्ष इजिप्त और अमेरिका से आयात किया जाता है. इस आयात में चिटींग नहीं होती. इसके अलावा भारतीय कपास के भाव और निर्यात पर कोई असर नहीं होता, ऐसी जानकारी एमसीएक्स कॉटन (पीएसी) सदस्य दिलीप ठाकरे ने दी.

* अतिरिक्त लंबे धागे का कपास कौनसा?
एमसीयू-5, सुरभी, डीसीएम-33, डीसीएच-36 और सुवीन आदि प्रति के कपास के धागो की लंबाई 32 एमएम से अधिक रहने से इसका समावेश अतिरिक्त लंबे धागे में किया गया है. मध्यप्रदेश के रतलाम, कर्नाटक के बेलगांव और तमिलनाडू के कुछ इलाको में इस कपास का उत्पादन लिया जाता है. देश के अन्य भागो में मध्यम, लंबे (25 से 27 एमएम) से लंबे (27.5 से 32 एमएम) धागे के कपास का भारी मात्रा में उत्पादन लिया जाता है.

* भाव, उपलब्धता और आयात
देश में अतिरिक्त लंबे धागे के कपास का उत्पादन काफी कम होता है. वह आवश्यकता पूरी करने के लिए हर वर्ष 10 से 14 लाख गांठ कपास की आयात की जाती है. फिलहाल अतिरिक्त लंबे धागे के कपास के भाव 79 से 89 हजार रुपए तथा अन्य कपास के भाव 53 से 58 हजार रुपए प्रति खंडी है. 11 प्रतिशत आयात शुल्क रद्द करने से अतिरिक्त लंबे धागे के कपास का यातायात व अन्य खर्च ग्राह्य मानकर 84 से 86 हजार रुपए प्रति खंडी होता है.

* निर्णय का उतना असर नहीं होगा
मध्यम, लंबे और अतिरिक्त लंबे धागे का कपास एकदूसरे के स्पर्धक नहीं. केंद्र सरकार के इस निर्णय का मध्यम लंबे और लंबे धागा के कपास के दर व निर्यात पर उतना असर नहीं होगा, किंतु किसानों ने वेट अ‍ॅन्ड वॉच की भूमिका रखकर कपास बिक्री का निर्णय लेना चाहिए.
-गोविंद वैराले, पूर्व महाप्रबंधक,
कपास पणन महासंघ महाराष्ट्र

* किसानों का नुकसान नहीं
देश को हर साल 4 से 5 लाख गाठें अतिरिक्त लंबे धागे के कपास की आवश्यकता होती है. इस निर्णय से किसानों का नुकसान नहीं होगा, बल्कि देश के कपडा उद्योग को आधार मिलेगा,ऐसा एमएसीएक्स कॉटन(पीएसी )के सदस्य ठाकरे ने बताया.

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