नागपुर -दि.17 बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने एक प्रकरण के फैसले में स्पष्ट किया कि, किसी आदेश को अंतिम मान लिया जाये तो फिर उसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता. उच्च न्यायालय के निर्णय से वर्धा जिले की महिला कर्मचारी को नौकरी में संरक्षण कायम हो गया.
प्रकरण में न्यायमूर्ति द्बय अतुल चांदूरकर और उर्मिला जोशी के समक्ष सुनवाई हुई. वर्धा जिला परिषद की वरिष्ठ सहायक ममता हेडावु ने जात प्रमाणपत्र जांच समिति के निर्णय को उच्च न्यायालय में ललकारा था. 19 अगस्त 2013 को उच्च न्यायालय ने अनुसूचित जाति को मिलने वाले लाभ का त्याग करने की शर्त पर हेडाउ की नौकरी को संरक्षण प्रदान किया था. उसके विरुद्ध राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर नहीं की. जिससे उस आदेश को अंतिम स्वरुप प्राप्त हो गया. इस मामले में हेडाउ के वकील एड. शैलेश नारनवरे ने ओरिएंटल इंश्योरेंश कंपनी के प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश रिकॉर्ड पर पेश किया. उच्च न्यायालय की खंडपीठ का ध्यान इस ओर खींचा.