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सिंधुताई सपकाल के पार्थिव पर हुआ अंतिम संस्कार

राजकीय सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई

* महानुभाव पंथीय विधि के जरिये किया गया ‘भूमि दाग’

पुणे/दि.5- अनाथों की मायी कही जाती ख्यातनाम समाजसेवी सिंधुताई सपकाल का गत रोज लंबी बीमारी पश्चात पुणे में निधन हो गया था. जिसके बाद आज पुरे शासकीय सम्मान के साथ पुणे के नवीपेठ स्थित ठोसर पागा श्मशान भूमि में उनके पार्थिव पर अंतिम संस्कार किया गया. जिसके तहत उनके पार्थिव पर अग्नि संस्कार करने की बजाय दफन विधि की गई. जिसे लेकर सिंधुताई की संस्था के पदाधिकारियों द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया कि, सिंधुताई ने महानुभाव पंथ की दीक्षा ली थी और इस पंथ में मृत्यु के बाद पार्थिव शरीर को मिट्टी देने की परंपरा है. साथ ही खुद सिंधुताई भी चाहती थी कि, उनके पार्थिव पर अंतिम संस्कार महानुभाव पंथ की परंपरा के अनुसार हो.
गत रोज दिवंगत हुई सिंधुताई सपकाल की अंतिम यात्रा के दौरान श्री चक्रधर स्वामी का नाम जप शुरू था. साथ ही श्रीमत भगवत गीता के श्लोक भी पढे जा रहे थे. खुद मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे ने सिंधुताई सपकाल के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ करने का निर्देश जारी किया था. जिसके अनुसार ही सिंधुताई को अंतिम विदाई दी गई.
बता देें कि, महानुभाव पंथ में अंतिम संस्कार की इस विधि को भूमि दाग कहा जाता है और विशेष उल्लेखनीय यह भी है कि, महानुभाव पंथ में दफन किये गये व्यक्ति की समाधि भी नहीं बनायी जाती.

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