आखिरकार खामगांव का ‘वह’ किसान पुत्र करेगा देशसेवा
उच्च न्यायालय ने दिए आदेश, सीआरपीएफ में मिलेगी नौकरी

नागपुर /दि. 6– शरीर पर जन्मजात दाग रहने से किसी भी प्रकार की हलचल में दिक्कते नहीं आती. इसके बावजूद भी केंद्रीय आरक्षित पुलिस बल के कांस्टेबल पद के लिए अपात्र ठहराए गए किसान पुत्र को आखिरकार मुंबई ुउच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने न्याय दिया है. न्यायाधीश अविनाश घरोटे व अभय मंत्री की पीठ ने किसान पुत्र को देशसेवा किए जाने के आदेश दिए. जिसमें किसान पुत्र को बडी राहत मिली.
सिद्धांत क्रांतिवीर तायडे किसान पुत्र का नाम है और वह खामगांव का रहनेवाला है. उसके पैर पर जन्म से ही सफेट चट्टा था. जिसकी वजह से उसे सीआरपीएफ में कांस्टेबल के पद के लिए 26 अक्तूबर 2024 को अपात्र ठहराया गया था. सिद्धांत ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. सिद्धांत के वकील एड. स्वप्नील वानखेडे ने जबरदस्त पैरवी की और राजस्थान उच्च न्यायालय के ‘अशोक दुखिया’ के मामले का उदाहरण दिया और कहा कि, शरीर पर जन्म से दाग रहने पर सशस्त्र दल की नौकरी में उम्मीदवार को अपात्र नहीं ठहराया जा सकता. इसके अलावा एड. वानखेडे ने शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय अस्पताल व लता मंगेशकर अस्पताल की रिपोर्ट भी न्यायालय में पेश की. सिद्धांत के पैर पर दाग रहने से उसे नौकरी करते समय किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आएगी, ऐसा रिपोर्ट में कहा गया. जिस पर उच्च न्यायालय ने सिद्धांत को नौकरी दिए जाने के आदेश जारी किए. आखिरकार अब सिद्धांत देशसेवा करेगा.