अंतत: उस गर्भवती को मिली गर्भपात की अनुमति
गर्भस्थ शिशु है विकृतिग्रस्त, अदालत ने वैद्यकीय रिपोर्ट को माना ग्राह्य
नागपुर/दि.22 – मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने गर्भ में पल रहे बच्चे के शारीरिक व मानसिक तौर पर विकृतिग्रस्त रहने की बात को ध्यान में रखते हुए गर्भवती महिला को गर्भपात करवाने की अनुमति दी है. मेडिकल पैनल की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए अदालत ने पीडिता को यह राहत प्रदान की. इस मामले पर न्या. रोहित देव व न्या. शिवराज खोब्रागडे की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई.
मिली जानकारी के मुताबिक याचिकाकर्ता 27 वर्षीय गर्भवती महिला वर्धा जिले के वायफड गांव की निवासी है. जिसे 23 जनवरी 2023 को पता चला कि, उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को कई तरह की शारीरिक व मानसिक विकृतियां है. ऐसे में उसने गर्भपात करने का निर्णय लिया. परंतु वर्धा जिला सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने 20 सप्ताह से अधिक की गर्भधारणा रहने की वजह आगे करते हुए गर्भपात करने से इंकार कर दिया. जिसके चलते उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. इस समय याचिकाकर्ता महिला का गर्भ 28 सप्ताह का हो चुका है और वैद्यकीय गर्भपात कानून के मुताबिक यदि गर्भधारणा की वजह से गर्भवती महिला की जान के लिए भी कोई खतरा पैदा होता है अथवा उसके शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड सकता है अथवा गर्भस्थ शिशु किसी तरह की शारीरिक या मानसिक विकृति से ग्रस्त है, तो 24 सप्ताह की कालावधि तक गर्भ को गिराया जा सकता है. वहीं इसके बाद वैद्यकीय मंडल द्बारा सकारात्मक रिपोर्ट दिए जाने पर गर्भपात करने को अनुमति प्रदान की जा सकती है. ऐसे में अदालत ने वैद्यकीय मंडल की रिपोर्ट मंगवाई थी और रिपोर्ट सकारात्मक आने पर गर्भवती महिला को राहत दी गई. इस मामले में पीडिता की ओर से एड. सोनिया गजभिये ने युक्तिवाद किया.