विदर्भ

गांजा तस्करी से माओवादियों को आर्थिक सहायता

गांजा विक्रेता से पूछताछ के दौरान सामने आयी सनसनीखेज जानकारी

नागपुर/दि.14– गांजा तस्करी से माओवादियों को आर्थिक मदद मिलने की बात एक बार फिर सामने आयी है. नागपुर ग्रामीण पुलिस ने स्थानीय अपराध शाखा ने ओडिशा के कुख्यात गांजा विक्रेता भिमसेन उर्फ रुपू नंदा पांगी (32, कुसमा) तथा उत्तर प्रदेश के गांजा विक्रेता आलोक रामविलास सिंह (35, बजरंग विहार कालोनी, वाराणसी) को गिरफ्तार किया. जिसे की गई पूछताछ में यह सनसनीखेज जानकारी सामने आयी.

जानकारी के मुताबिक विगत जनवरी माह के दौरान अपराध शाखा पुलिस ने बुटी बोरी पुलिस थाना क्षेत्र में एचआर-55/एस-2346 क्रमांक के कंटेनर से करीब 495 किलो गांजा जब्त किया था. पश्चात पुलिस ने गांजा तस्करों व विक्रेताओं की खोजबीन करनी शुरु की. जिसके आधार पर वाराणसी से आलोक सिंह को गिरफ्तार कर नागपुर लाया गया. तब पता चला कि, वर्ष 2016 में आलोक सिंह को दहेज प्रतिबंधक कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था और जेल में रहने के दौरान उसकी एक गांजा तस्कर के साथ जान पहचान हुई थी, जो वर्ष 2019 में एक बार फिर आलोक सिंह से मिला था तथा उसने अलोक को ओडिशा में रहने वाले रुपू पांगी के बारे में जानकारी दी थी. साथ ही उसने आलोक व रुपू पांगी के मोबाइल फोन के जरिए बातचीत भी करवाई थी. इसके बाद आलोकसिंह वर्ष 2022 के दौरान वायझैक में रुपू पांगी से मिला और दोनों के बीच डिल तय हुई. जिसके बाद से ही रुपू पांगी से गांजा लेकर आलोक सिंह उसकी विक्री उत्तर प्रदेश के वाराणसी, गाजीपुर व चंदोली सहित आसपास के शहरों में विक्री किया करता था. इस समय आलोक ने पुलिस को यह भी बताया कि, वर्ष 2022 से ही रुपू से गांजा खरीदकर उसे कंटेनर के जरिए नागपुर होते हुए वाराणसी ले जाया करता था. हर खेप में करीब 300 से 500 किलो के आसपास गांजा रहता था और विगत 2 वर्ष के दौरान आलोक ने उत्तर प्रदेश में गांजे की करीब 35 खेप बुलाई थी. ऐसे में आलोक सिंह द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर पुलिस ने ओडिशा जाकर रूपू पांगी को भी अपनी हिरासत में लिया और उसे गिरफ्तार करते हुए अपने साथ नागपुर लाया. वहीं अब इस बात की पडताल की जा रही है कि, इस रैकेट में और कौन-कौन लोग शामिल है.

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