नागपुर/दि.14 – मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ के न्यायमूर्ति अविनाश जोशी ने प्रतिवादी को सुनवाई से पहले 2.40 लाख रुपए न्यायालय में जमा करने का आदेश दिया है. पार्टनरशिप फर्म में चेक बाउंस मामले में एक पक्ष व्दारा गुमराह करने वाले तथ्य रखने पर न्यायालय ने यह आदेश दिया है. साथ ही रकम जाम होने के बाद ही निचली अदालत में सुनवाई करने का निर्देश प्रतिवादी को दिया है. न्यायालय ने 4 सप्ताह के भीतर रकम जमा करने की मोहलत दी है.
कुछ साल पहले नमिता खन्ना और मनोज कुमारर्ले ने मिलकर भागीदारी फर्म बनाई थी. इस फर्म के तहत सह्याद्री पेन्ट का निर्माण होता था. व्यवसाय को स्थापित करने के लिए नमिता खन्ना के पति संदीप खन्ना ने अपने घर को गिरवी रखकर करीब 12 लाख रुपए दिए थे. व्यवसाय स्थापित होने के बाद दोनों साझेदारों ने मिलकर 3 दुकानें खरीदी थी. वर्ष 2014 में दोनों साझेदारों में मतभेद होने के चलते फर्म को बंद करने का निर्णय लिया गया. दोनों के बीच लिखित समझौते के तहत मनोज कुमारर्ले ने दुकानों समेत पूरा व्यवसाय अपने पास रखा. जबिक नमिता खन्न को 16 लाख रुपए देने का आश्वासन दिया. मनोज कुमारर्ले ने 13 नवंबर 2014 से 15 फरवरी 2015 के बीच नमिता खन्ना को 16 लाख रुपए के 9 चेक दिये थे. इनमें से करीब 9.50 लाख रुपए के तीन चेक बाउंस हो गए थे. चेक बाउंस और साझेदारी फर्म के मामले में नमिता ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. इस याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय में गुमराह करने वाले तथ्य रखने पर हाईकोर्ट ने प्रतिवादी को 2.40 लाख रुपए न्यायालय में जमा करने का आदेश दिया गया. नमिता की ओर से अधिवक्ता विनय दहाट ने पैरवी की. प्रतिवादी की ओर से अधिवक्ता राजीव मेहाडिया ने पक्ष रखा.