बाबासाहेब को अभिवादन के लिए के लिए देश-विदेश से आए अनुयायी
जय बुध्द व जयभीम के जयघोष से पूरा परिसर गूंज उठा
नागपुर/दि.23– भारतरत्न डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने तथागत गौतम बुध्द के समतानिष्ठ विचारों को पुनर्जीवित किया. हजारों वर्ष से गरीब, भूखमरी समाज की अस्मिता जागृत की. नागपुर की दीक्षाभूमि पर धम्मदीक्षा लेकर बुध्द तत्वज्ञान का प्रसार किया. इस महामानव को अभिवादन करने के लिए सोमवार की सायंकाल दीक्षाभूमि परिसर में नीले महासागर का स्वरूप आया. विशाल गर्जन करनेवाला आंबेडकरी अनुयायी का यह भीमसागर देशभर से आया. जय बुध्द व जयभीम के जयघोष से पूरा परिसर गूंज उठा.
हाथ में पंचशील ध्वज अन शुभ्र वस्त्र परिधान करनेवाले दीक्षाभूमि पर रात देर तक आ रहे थे. देश के कोने- कोने से नहीं नेपाल, थायलॅण्ड, जापान, श्रीलंका से अनुयायी दीक्षाभूमि पर आए थे. मंगलवार को लाखों अनुयायों की भीड से दीक्षाभूमि भर गई थी. युवको का झुंड जयभीम का नारा देकर भीड में शामिल हो रहा था. भीड अधिक होने पर भी सभी एक दूसरे को संभाल रहे थे. देश के कोने- कोने से आए अनुयायी की भाषा विविध होने पर भी जयभीम इस एक शब्द ने मदद का हाथ सामने ला रहे थे.
* अनुयायियों की सेवा में सैकडों संगठना
हजारों मील से लाखों की संख्या में आनेवाले अनुयायी के लिए हजारों संगठन आदर कर रहे है. पानी से लेकर चाय, नाश्ता व दो समय के भोजन की व्यवस्था उपलब्ध की है. कुछ सामाजिक संगठनों ने नि:शुल्क औषधी उपलब्ध कर दी है.
* 9 फुट उंचा बाबासाहेब के पुतले ने किया ध्यान आकर्षित
दीक्षाभूमि पर पुस्तक के साथ डॉ. आंबेडकर के व तथागत गौतम बुध्द की 15 से.मी. से 9 फुट के पुतले का स्टॉल्स आकर्षण रहा.