नागपुर दि. 20 – कोरोना के बढते संक्रमण को देखते हुए राज्य शासन ने फिर से टायगर प्रोजेक्ट, अभ्यारण्य, प्राणी संग्रहालय बंद रखने का निर्णय लिया. तीसरी लहर को लेकर शासन ने यह निर्णय लिया. परंतु कुछ क्षेत्र नियमानुसार 50 प्रतिशत उपस्थिति में शुरु हैैं. फिर वन पर्यटन भी पूरी तरह से बंद क्यों किया गया, ऐसा प्रश्न पूछा जाने लगा है. इसी कारण 50 प्रतिशत क्षमता के साथ कोरोना के नियमों का पालन कर जंगल सफारी शुरु की जाए, ऐसी मांग जोर पकडने लगी है. इतना ही नहीं तो वन विभाग ने यह मांग शासन के दरबार में भी की है, मगर अब राज्य शासन क्या निर्णय लेता है, इस ओर सभी वन्यप्रेमियों का ध्यान लगा है.
पहले ही जंगल सफारी व वन पर्यटन की ओर जनता का काफी रुझान है. राज्य के वन विभाग को भी सबसे ज्यादा महसूल केवल जंगल सफारी के माध्यम से मिलता है. इतना ही नहीं तो मार्गदर्शक, जिप्सी चालक ओर रिसोर्ट मालक, उस रिसोर्ट पर काम करने वाले कर्मचारी, को भी जंगल सफारी करने वाले पर्यटकों से आय होती है. परंतु कोरोना महामारी के कारण 2020 से ही राज्य के सभी पर्यटन क्षेत्र बंद कर दिया गए. इसके कारण इस क्षेत्र पर निर्भर रहने वाले लोगों पर भुखे मरने की नौबत आयी थी. इस दौरान जितनी संभव हो सके उतनी सहायता वन विभाग व्दारा की गई. फिर भी नुकसान भरकर निकलने जैसा नहीं था. समय बीतने के साथ कोरोना के नियम शिथील किये गए. जंगल सफारी भी नियमानुसार शुरु की गई, जिससे सबकुछ सुचारु रुप से चलना शुरु था.
परंतु फिर से कोरोना की तीसरी लहर के कारण वन पर्यटन बंद किये गए. इस वजह से इस क्षेत्र पर निर्भर रहने वाले लोगों पर फिर से भुखे मरने की नौबत आयेगी क्या, ऐसी स्थिति निर्माण हुई है. राज्य में तीसरी लहर को देखते हुए कुछ पाबंदिया लगाई गई है. होटल्स, मॉल्स, सिनेमागृह 50 प्रतिशत क्षमता के साथ शुरु है. परंतु जंगल सफारी और प्राणि संग्रहों पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई गई है. महाराष्ट्र से सटे मध्यप्रदेश के जंगल में जंगल सफारी शुरु है. इस वजह से महाराष्ट्र में भी नियमानुसार जंगल सफारी शुरु की जाए, ऐसी मांग वन प्रेमियों व्दारा की जा रही है.