अवैध गुटखा बाबत शासन के चारों विभागों को नोटीस
उच्च न्यायालय ने एक वर्ष पूर्व उत्तर मांगने पर भी मौन
नागपुर/दि.22-महाराष्ट्र में गुटखा बिक्री पर बंदी होने के बावजूद सर्वत्र गुटखा बिक्री शुरु रहने से इसके खिलाफ मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दाखल की गई है. सालभर पहले न्यायालय ने राज्य शासन के विविध चार विभागों को नोटीस देकर उत्तर दाखल करने के आदेश देने के बावजूद इस पर उत्तर दाखल करने में इन विभागों को समय नहीं मिला. अमरावती के सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. मोईन देशमुख ने यह जनहित याचिका दाखल की है.
याचिका के अनुसार, राज्य शासन ने गुटखा, पान मसाला, सुगंधित तंबाखू, सुगंधित सुपारी, खर्रा का उत्पादन, जमा किया गया, वितरण, यातायात व बिक्री पर बंदी लगाई है. वर्ष 2013 में पहली बार राज्य सरकार ने तंबाखूजन्य गुटखा उत्पादन एवं विक्री पर बंदी लागू की. पश्चात हर साल इस संदर्भ में अन्न व औषधी प्रशासन विभाग ने गुटखा अधिसूचना का नूतनीकरण किया. मात्र, गुटखाबंदी रहते हुए भी अमराती में खुलेआम गुटखा शुरु है. मध्यप्रदेश से बड़े पैमाने पर यह माल महाराष्ट्र में लाया जाता है. अमरावती जिले के अनेक वेअर हाऊस में यह माल जमा कर रखा गया था. इस संदर्भ में याचिकाकर्ता ने अन्न औषधि प्रशासन विभाग के सहायक आयुक्त तथा पुलिस से शिकायत की थी, बावजूद इसके गुटखा बिक्री बंदी को कड़ाई से अमल में लाने प्रशासन असफल रहने से मुख्यमंत्री, अमरावती के पालकमंत्री व जिलाधिकारी को भी निवेदन दिया गया था. लेकिन किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई. जिसके चलते याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में यह जनहित याचिका दाखल की है. न्यायालय ने इन प्रतिवादियों को उत्तर दाखल करने हेतु दो सप्ताह का समय दिया है. याचिकाकर्ता की तरफ से एड. परवेज मिर्जा ने पैरवी की.
इन चार विभागों को नोटीस
इस मामले में अमरावती पुलिस आयुक्त, अमरावती विभाग के अन्य व औषधी प्रशासन विभाग के सह आयुक्त व सहायक आयुक्त, अन्न सुरक्षा अधिकारी ने उत्तर दाखल किया है. एक वर्ष पूर्व दाखल हुए इस प्रकरण में अब तक राज्य सरकार के गृह विभाग ने, उच्च वैद्यकीय शिक्षण, अन्न व औषधी प्रशासन सचिव, अन्न व औषधी विभाग के आयुक्त एवं अमरावती के जिलाधिकारी ने उत्तर दाखल नहीं किये.