दुर्घटना भरपाई के लिए हेराफेरी, 50 हजार का दावा खर्च
हाईकोर्ट ने दिया झटका, फौजदारी अवमानना याचिका भी दायर होगी
नागपुर /दि. 14– मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने दुर्घटना भरपाई मिलने के लिए फर्जी कागजपत्र तैयार करनेवालों पर 50 हजार रुपए का दावा खर्च लगाया. न्यायमूर्ति संजय देशमुख ने इस प्रकरण पर फैसला सुनाया.
जानकारी के मुताबिक हेराफेरी करनेवालों के नाम खैरुन जहीर खान, जावेद खान और जफर खान है. वे दुर्गानगर के रहनेवाले है. उन्हें यह रकम तीन माह में उच्च न्यायालय में जमा करना है अन्यथा इस रकम पर 9 प्रतिशत ब्याज लागू होगा, ऐसा न्यायालय ने स्पष्ट किया है. साथ ही न्यायालय में रकम जमा होने के बाद वह मनोरोगी के कल्याण के लिए कार्य करनेवाले सिद्धार्थ सामाजिक विकास संस्था को अदा करने कहा गया है. यह संस्था सातारा में कार्यरत है. इसके अलावा इन तीनों के साथ तत्कालीन जांच अधिकारी निवृत्ति घोरपडे, गवाह गौतम शंभरकर व अन्य अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ एसबीआई जनरल इंशुरंस कंपनी द्वारा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की जाए और उच्च न्यायालय के न्यायिक व्यवस्थापक द्वारा फौजदारी अवमानना याचिका दायर करने के निर्देश भी न्यायालय ने दिए.
* ऐसा है प्रकरण
14 अगस्त 2013 को भंडारा रोड पर तेज रफ्तार से दौड रहे ट्रक की टक्कर में एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उस व्यक्ति का नाम सलमान खान जहीर खान उर्फ जसवंत यादव (निवासी भरतनगर, कलमना) पता दर्ज है. लेकिन एफआईआर में जसवंत यादव नाम नहीं है. सलमान की मां के रुप में खैरुन तथा भाई के रुप में जावेद व जफर ने मोटर वाहन दुर्घटना न्यायाधिकरण में भरपाई का दावा दाखिल किया था. 28 सितंबर 2021 को न्यायाधिकरण द्वारा 7 लाख 49 हजार रुपए की भरपाई मंजूर की गई थी. इस कारण एसबीआई जनरल इंशुरंस कंपनी ने उच्च न्यायालय में अपील दाखिल की थी. कंपनी के वकील एड. मृणाल नाईक ने मृतक की शिनाख्त नहीं हुई है, दावेदारों द्वारा भरपाई मिलने के लिए फर्जी कागजपत्र प्रस्तुत किए, इस ओर ध्यान केंद्रीत किया. इसके लिए उच्च न्यायालय ने मृतक की शिनाख्त करने दस्तावेज मांगे. लेकिन दावेदारों ने ऐसा कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया. परिणामस्वरुप न्यायालय ने न्यायाधिकरण का विवादास्पद फैसला व भरपाई का दावा भी रद्द किया.
* रैकेट सक्रिय रहने का संदेह
उच्च न्यायालय ने इस प्रकरण के तथ्य को ध्यान में रखते हुए फर्जी कागजपत्र के आधार पर दुर्घटना की भरपाई मिलने के लिए रैकेट सक्रिय हो सकता है और इस रैकेट में पुलिस भी शामिल रह सकते है, ऐसा संदेह व्यक्त कर इस प्रकरण को गंभीरता से लेना आवश्यक है, ऐसा दर्ज किया है. साथ ही इस प्रकरण के जांच अधिकारी निवृत्ति घोरपडे ने उचित तरीके से जांच नहीं की है, उन्होंने मृतक की शिनाख्त करने के प्रयास नहीं किए. उन्होंने अपने कर्तव्य में लापरवाही बरती रहने की बात भी दर्ज की गई है.