विदर्भ

धोखाधडी : केवल छह माह में पत्नी ने दिया पति को तलाक

यवतमाल के एक युवक ने शिक्षक होने का कहकर रचाया विवाह

  • कारंजा पुलिस थाने में किया था अपराध दर्ज

  • पारिवारिक न्यायालय में आपसी सहमति लिया तलाक

नागपुर प्रतिनिधि/दि.२४ – देश में दिन ब दिन बढती बेरोजगारी के चलते हमारी सामाजिक संरचना बुरी तरह से प्रभावित हो गई है और धोखाधडी के मामले बढने लगे है. इसी के चलते सायबर अपराध, सरकारी नौकरी रहने का झूठ बताकर वधु पक्ष की ओर से मनमाना दहेज लेने की घटनाओं में इजाफा जैसे मामले सामने आ रहे है. ऐसा ही एक मामला मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में देखने को मिला. यवतमाल निवासी राहुल ने शिक्षक होने का झूठ बताकर कारंजा निवासी २५ वर्षीय सीमा के साथ बडा दहेज लेकर शादी की थी. शादी के छह माह बाद सीमा को बता चला कि उसका पति बेरोजगार है. ससुराल व पति व्दारा सीमा के साथ धोखाधडी होने से नाराज सीमा ने केवल छह माह में ही ससुराल वाले व पति के खिलाफ २०१८ में कारंजा अदालत में याचिका दायर की. मई २०१८ में यवतमाल निवासी राहुल व कारंजा (जि.वाशिम) निवासी सीमा का विवाह हुआ था. विवाह तय करते वक्त राहुल के परिवार की ओर से बताया सीमा के परिवार वालों को बताया गया था कि राहुल शिक्षक है. विवाह हुआ, सीमा राहुल के साथ रहने लगी तब उसने देखा कि राहुल नौकरी पर जा ही नहीं रहा है. कुछ ही दिनों में उसे पता चला कि राहुल के पास कोई नौकरी नहीं है वह बेरोजगार है. शादी के लिए सीमा और उसके परिवार से झूठ बोला गया था. इस बात से नाराज होकर सीमा ने राहुल और उसके परिजनों के खिलाफ कारंजा थाने में धोखाधडी की शिकायत दर्ज करा दी.

शिकायत में उसने यह भी लिखा था कि ससुराल वाले उसे दहेज के लिए प्रताडित कर रहे हैं. कारंजा पुलिस ने पति और उसके परिजनों के खिलाफ भादंवि की धारा ४९८ ए, ५०४, ५०६, ३४ के तहत अपराध दर्ज किया. तलाक के लिए पारिवारिक न्यायालय में यह मामला दाखिल हुआ.

जिसमें पति की बेरोजगारी से परेशान होकर २५ वर्षीय विवाहिता ने शादी के ६ महीने में ही पति व ससुराल वालों के खिलाफ धोखाधडी की शिकायत दर्ज कराई है. पत्नी ने स्पष्ट किया कि वह बेरोजगार पति के साथ नहीं रहना चाहिती और उसे तलाक चाहिए. इसके बाद पति-पत्नी की आपसी सहमति से पारिवारिक न्यायालय ने तलाक मंजूर किया और दहेज का सारा सामान लौटाया गया और मुआवजे के तौर पर ५ लाख रुपए भी अदा करना पडा. इसे आधार बनाकर राहुल के परिजनों ने हाईकोर्ट से विनती की कि उनपर दर्ज एफआईआर व चार्जशीट को खारिज कर दिया जाए. सभी मामले की जांच पडताल कर मामले को रफा दफा करने का फैसला मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ सुनाया.

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