नागपुर प्रतिनिधि/दि.४ – फर्जी दस्तावेज के आधार पर सवा करोड़ का कर्ज लेकर बैंक के साथ ठगी करनेवाले एक आरोपी के खिलाफ पुलिस ने अपराध दर्ज किया है. विशेष बात यह है कि ५ वर्ष के बाद यह अपराध बैक के सामने आने के बाद भी शिकायत दर्ज करने को विलंब हुआ. जिसके कारण संदेह व्यक्त किया जा रहा है.
प्रमोद मोतीराम वालमांढरे, शीतल प्रमोद वालमांढरे (बालाजीनगर) कृष्णकुमार लक्ष्मणराव देशमुख (शंकरनगर) और रोशन हिरे (प्रतापनगर)यह आरोपी का नाम है.
आरोपी प्रमोद वालमांढरे और उसकी पत्नी शीतल इन दोनों ने२०१३ में तत्कालीन कॉर्पोरशन बैंक और फिलहाल युनियन बैंक ऑफ इंडिया किंग्सवे शाखा में गृह कर्ज लेने के आवेदन किया था. इसके लिए उन्होंने आवश्यक हो व दस्तावेज और निर्मलाबाई जोशी के संपत्ति के दस्तावेज दिए थे. दस्तावेज की पूर्ति करने के बाद बैंक ने २४ नवंबर २०१३ को आरोपी प्रमोद और शीतल वालमांढरे इन दोनों को एक करोड़ २० लाख रूपये का कर्ज मंजूर किया. घर के बिक्री पत्र होने के बाद गृहकर्ज का डिमांड ड्रॉफ्ट मुख्य भूखंड मालिक आरोपी देशमुख के नाम से तैयार करके देंगे. ऐसा निर्धारित किया था. उसनुसार शीतल प्रमोद और देशमुख इन तीनों ने संबंधित मकान के बिक्री पत्र बैंक में जमा किए.उसके बाद बैंक ने १ करोड़ ९ लाख रूपये (डीडी)आरोपी देशमुख के एकाऊंट में जमा किए. ११ लाख की रकम मकान के सुधार के लिए वालमांढरे दंपत्ति को दी.घर सुधार के लिए दी जानेवाली रकम में से ५ लाख रूपये वालमांढरे दंपत्ति के लिए आरोपी देशमुख के खाते में हस्तांतरित किए. इस दौरान आरोपी को कर्ज का ऋण हर माह १ लाख २०हजार रूपये इस स्वरूप में चुकाना था. निर्धारित किए अनुसार ३ जुलाई२०१५ तक आरोपी ने नियमित हफ्ते भरे. बाद में रकम भरना बंद किए जाने के कारण ३१जुलाई २०१५को बैंक ने आरोपी को नोटिस भेजी किंतु प्रतिसाद नहीं मिला. जिसके कारण बैंक व्यवस्थापक और कर्मचारी प्रमोद वालमांढरे के घर गये. उस समय यह बनावटीपन उजागर हुआ