विदर्भ

स्वाधिनता सेनानी की तलाकशुदा बेटी भी सम्मान पेंशन के लिए पात्र

नागपुरी हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

नागपुर/दि.19– दिवंगत हो चुके स्वाधिनता संग्राम सेनानियों की तलाकशुदा बेटी भी केंद्र सरकार की ओर से दी जाने वाली सम्मान पेंशन हेतु पात्र है. इस आशय का महत्वपूर्ण निर्णय मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ द्बारा दिया गया है.
बता दें कि, केंद्र सरकार ने देश की आजादी में योगदान देने वाले स्वाधिनता सेनानियों को मदद व सम्मान देने हेतु वर्ष 1969 से पेंशन योजना लागू की है. परंतु इस योजना में यह प्रावधान किया गया है कि, स्वाधिनता संग्राम सेनानी के निधन पश्चात उनके माता-पिता, पत्नी व अविवाहित बेटी भी पेंशन हेतु पात्र रहेगी. इस जरिए स्वाधिनता सेनानियों की विधवा व तलाकशुदा बेटियों को इस पेंशन हेतु अपात्र ठहराया गया है. जिसके चलते केंद्र सरकार ने एक स्वाधिनता संग्राम सेनानी की 54 वर्षीय तलाकशुदा बेटी की ओर से पेंशन हेतु दायर किए गए दावे को खारिज कर दिया था. जिसके बाद कुसूम नामक उक्त महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. जिस पर न्या. अविनाश दारोडे व न्या. उर्मिला जोशी की द्बिसदस्यीय खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई और अदालत में विविध बातों को ध्यान में लेते हुए इस याचिका को मंजूर कर कुसूम को सम्मान पेंशन हेतु पात्र ठहराया. साथ ही उसे 28 फरवरी 2019 से सम्मान पेंशन अदा किए जाने का निर्देश केंद्र सरकार को दिया.

बता दें कि, मूलत: नागपुर निवासी कुसूम के पिता ने सन 1942 में हुए सविनय अवज्ञा आंदोलन में हिस्सा लिया था. जिसके चलते उसके पिता को 6 माह के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी. पश्चात केंद्र सरकार ने कुसूम के पिता को सम्मान पेंशन देना शुरु किया था. 23 जुलाई 1994 को उनका निधन होने के बाद कुसूम की मां को यह पेंशन दी जाने लगी. जिनका 9 फरवरी 2019 को निधन हो गया था. ऐसे में तलाकशुदा रहने वाले कुसूम ने 28 फरवरी 2019 को केंद्र सरकार के समक्ष आवेदन प्रस्तूत करते हुए खुद को पेंशन दिए जाने की मांग की थी. जिसमें बताया गया कि, कुसूम का उसके पिता के जीवित रहते समय विवाह हुआ था. परंतु पति के साथ रहने वाले आपसी मतभेदों के चलते 31 मार्च 1997 को उसका अपने पति से तलाक हो गया था. जिसके पश्चात वह अपने मायके आकर रह रही थी. तब तक उसके पिता की मौत हो गई थी और उसकी मां को सम्मान पेंशन मिलना शुरु हो गया था. साथ ही उसकी मां ने अपने पश्चात कुसूम को पेंशन हेतु नामित किया था. परंतु केंद्र सरकार ने कुसूम के निवेदन को खारिज कर दिया था. जिसके चलते कुसूम ने अपने वकील एड. अनूप डोंगोरे के जरिए नागपुर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. जिसे सुनवाई हेतु स्वीकार करने के साथ ही नागपुर हाईकोर्ट ने स्वाधिनता सेनानियों की तलाकशुदा व अपने मायके पर आश्रित रहने वाली बेटियों को सम्मान पेंशन के लिए पात्र ठहराया है.

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