* कुछ जिनिंग 40 से 60 प्रतिशत क्षमता से शुरु
नागपुर/दि. 8– मध्य व दक्षिण भारत का कपास सत्र शुरु होने को एक माह पूर्ण हुआ है. राज्य की आधी जिनिंग प्रेसिंग अभी भी बंद है. वह शुरु होने की संभावना समाप्त हो गई है. आधी जिनिंग प्रेसिंग केवल 40 से 60 प्रतिशत क्षमता से शुरु है. कपास के उत्पादन की कमी और बाजार में आवक कम रहने से जिनिंग प्रेसिंग उद्योग संकट में आने से राज्य में करीबन 25 हजार कामगार बेरोजगार हुए है, ऐसी परिस्थिति संपूर्ण देशभर में है.
देशभर में कुल 3460 जिनिंग प्रेसिंग है. इस उद्योग में गुजरात अव्वल और महाराष्ट्र राज्य दूसरे स्थान पर है. एक जिनिंग-प्रेसिंग उद्योग करीबन 50 कामगारों को 7 माह रोजगार उपलब्ध कर देता है. पिछले 5 साल से प्रक्रिया करने लगने वाला कच्चा माल यानी कपास जरुरी मात्रा में न मिलने से जिनिंग प्रेसिंग उद्योग संकट का सामना कर रहे हैं. वर्तमान समय में यह संकट और गहराता जा रहा है. सदोष व कालबाह्य हुए बीज प्रतिकुल मौसम और रोग व कीडों के बढते प्रादुर्भाव के कारण हर वर्ष कपास का उत्पादन खर्च बढ रहा है और उत्पादन घट रहा है. अच्छे दाम मिलने की प्रतीक्षा में किसान विविध चरणों में और आवश्यकता पडने पर कपास की बिक्री करते रहने से बाजार में आवक कम हो गई है.
देश के वस्त्रोद्योग को कम भाव में रुई और सूत चाहिए. टेक्सटाइल लॉबी केंद्र सरकार पर दबाव निर्माण कर कपास के भाव नियंत्रित करते रहने से वस्त्रोद्योग की कडी के किसान, जिनिंग प्रेसिंग और स्पीनिंग मिल संकट में आ गई है. प्रक्रिया करने आवश्यक कपास न मिलने से जिनिंग प्रेसिंग उद्योग बंद रखने पडते है अथवा 40 से 50 प्रतिशत क्षमता से चलाने पडते हैैं, ऐसी जानकारी राज्य के जिनिंग संचालकों ने दी.
* देश के पास उत्पादन में कमी
वर्ष कुल उत्पादन
2018-19 333.00 लाख गांठ
2019-20 365.00 लाख गांठ
2020-21 352.48 लाख गांठ
2021-22 98.10 लाख गांठ
2022-23 315.05 लाख गांठ
* देशभर की जिनिंग प्रेसिंग
गुजरात 940
मध्य प्रदेश 490
तेलंगाना-आंध्र प्रदेश 540
महाराष्ट्र 865
हरियाणा-पंजाब-राजस्थान 380
कर्नाटक-तमिलनाडू 275
ओडिशा 005
* कपास उत्पादन व जिनिंग संख्या
– अमेरिका में हर वर्ष कपास का औसतन 180 से 200 लाख गांठ उत्पादन होता है. वहां जिनिंग की कुल संख्या केवल 111 है.
– भारत में कपास का औसतन उत्पादन 300 लाख गांठ है. मांग और इस्तेमाल 345 लाख गांठ का है.
– देश भर में जिनिंग-प्रेसिंग की संख्या 3460 है.
– एक जिनिंग-प्रेसिंग 24 घंटे चलाने के लिए करीबन 40 क्विंटल कपास की आवश्यकता रहती है.
* अधिक रुई फसल चाहिए
– भारत के रुई की उत्पादकता केवल 470 किलो प्रति हेक्टेयर है. अन्य देश में यह उत्पादकता 800 से 1500 किलो प्रति हेक्टेयर है.
– जिनिंग-प्रेसिंग उद्योग को संकट से बाहर निकालने के लिए रुई की अधिक उत्पादकता रही कपास की फसल चाहिए. इसके लिए देश के किसानों को रोग व कीडे प्रतिबंधक तथा रुई के अधिक प्रमाणवाले बीज उपलब्ध कर देना, बीज तंत्रज्ञान पर लगाई पाबंदी हटाना और कपास का उत्पादन बढाना आवश्यक है. इसके लिए देश के कपास उत्पादन व वस्त्रोद्योग नीति पर प्रभावी रहना आवश्यक है.
* कच्चे माल की कमी
वर्धा जिले के हिंगनघाट तहसील में कुल 25 जिनिंग-प्रेसिंग है. इस जिनिंग में पूर्ण क्षमता से चलाने के लिए करीबन 20 लाख गांठ कपास की आवश्यकता है. 10 लाख गांठ कपास उपलब्ध होता है. इस कारण शुरु रही जिनिंग-प्रेसिंग 40 से 60 प्रतिशत क्षमता से चलानी पडती है, ऐसी जानकारी ओम डालिया ने दी.