आवारा कुत्तों को खाना खिलाने हाईकोर्ट में जगह दो
नागपुर मनपा से नागपुर हाईकोर्ट में पहुंचा अजब-गजब पत्र
* पत्र भेजने वाली महिला वकील सहित मनपा अधिकारी को ‘शो कॉज’
नागपुर/दि.8 – मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ के परिसर में आवारा कुत्तों को खिलाने-पिलाने हेतु जगह उपलब्ध कराई जाए. इस आशय की मांग करने वाले महिला वकील और उसके द्बारा इस संदर्भ में दिए गए पत्र को हाईकोर्ट के प्रशासकीय विभाग के पास भेजने वाले मनपा अधिकारी को नागपुर हाईकोर्ट ने जमकर आडे हाथ लिया है. साथ ही इस पत्र को एक तरह की शरारत और सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का साधन बताते हुए अंकीता शाह नामक महिला वकील और गजेंद्र महल्ले नामक मनपा अधिकारी को हाईकोर्ट में शो कॉज नोटीस जारी की है.
बता दें कि, शहर में आवारा कुत्तों द्बारा किए जाने वाले उत्पात को रोकने और इन आवारा कुत्तों का योग्य व्यवस्थापन करने हेतु विजय तालेवर नामक व्यक्ति द्बारा हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मनपा को शहर में आवारा कुत्तों को खाने-पिने का सामान देने हेतु जगह निश्चित करने का आदेश दिया था. इसी आदेश का आधार लेते हुए अंकिता शाह नामक महिला वकील ने नागपुर मनपा को पत्र लिखते हुए कहा कि, उच्च न्यायालय परिसर में भी कुछ कुत्ते है, जिन्हें खाने-पीने का सामान देना मेरा मूलभूत और धार्मिक अधिकार है. अत: इस हेतु उच्च न्यायालय परिसर में भी जगह उपलब्ध कराई जाए. हैरत की बात यह रही कि, इस पत्र को नागपुर मनपा के उपायुक्त व प्रभारी पशु वैद्यकीय अधिकारी गजेंद्र महल्ले ने हाईकोर्ट के प्रशासन विभाग के पास भेज दिया और गत रोज हुई सुनवाई के समय इस बात को हाईकोर्ट के सामने रखा गया. जिसे लेकर अदालत में अपनी तीव्र नाराजगी व्यक्त की.
इस पत्र को लेकर अपनी नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि, यदि ऐसा ही चलता रहा, तो कल चलकर कोई व्यक्ति विधानसभा, संसद या भारतीय सेना की जमीन पर भी कुत्तों को खिलाने-पीलाने के लिए जगह मांगेगा. यह मांग जितनी अतार्किक व शरारती है. उतना ही मनपा द्बारा यह पत्र अदालत को भेजा जाना लापरवाही वाली हरकत है. महिला वकील अंकिता शाह ने तो यह पत्र लिखने के साथ ही इसकी जानकारी को मीडिया के जरिए प्रकाशित भी किया. जिसका सीधा मतलब है कि, इसके जरिए सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है. इस मामले में अंकिता शाह पहले से पक्षकार है. वहीं अब तक मनपा अधिकारी गजेंद्र महल्ले पक्षकार नहीं थे. जिसके चलते अदालत ने गजेंद्र महल्ले को भी पक्षकार बनाने का आदेश जारी किया है और दोनों के नाम कारण बताओ नोटीस जारी की गई है.
इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड. फिरदौस मिर्जा, धंतोली नागरीक मंडल की ओर से एड. अश्विन देशपांडे तथा मनपा की ओर से एड. सुधीर पुरानिक ने पैरवी की.