पूर्व न्यायमूर्ति गणेडीवाल को सेवानिवृत्ति वेतन दें
उच्च न्यायालय का न्यायालय प्रशासन को आदेश

* ब्याज सहित मिलेगी रकम
नागपुर /दि.15– मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में अतिरिक्त न्यायमूर्ति के रुप में न्यायदान करने वाली पूर्व न्यायमूति पुष्पा गणेडीवाला ने सेवानिवृत्ति वेतन देने की मांग की थी. इसके लिए मुंबई उच्च न्यायालय में उन्होंने याचिका दायर की है. न्यायालय ने इसे मंजूर किया है. न्यायमूर्ति गणेडीवाला को 14 फरवरी 2022 से सेवानिवृत्ति वेतन दो माह में देने का आदेश न्यायालय ने न्यायालय प्रशासन को दिया है.
इस प्रकरण की मुख्य न्यायमूर्ति आलोक आराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे के समक्ष सुनवाई हुई. याचिका के मुताबिक न्यायमूर्ति गणेडीवाला ने 2021 में पोक्सो कानून के तहत ‘स्कीन टू स्कीन’ उल्लेख करते हुए फैसला सुनाया था. इसमें बाललैंगिक अत्याचार के अपराध के लिए शरीर का सीधा संपर्क आवश्यक है, ऐसा निरीक्षण उन्होंने दर्ज किया था. उनके इस फैसले पर सभी स्तर से टिप्पणी की गई थी. पश्चात सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला रद्द ठहराया था. साथ ही मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के रुप में कायम स्वरुप नियुक्ति कराने के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया था. उच्च न्यायालय के रजिस्टार ने 2 नवंबर 2022 को पत्र देकर उन्हें सेवानिवृत्ति वेतन और अन्य निवृत्ति का लाभ ठूकरा दिया था. इसी पत्र को उन्होंने मुंबई उच्च न्यायालय में चुनौति दी. न्यायमूर्ति गणेडीवाला की तरफ से वरिष्ठ विधिज्ञ सुनील मनोहर, वरिष्ठ विधिज्ञ निखिल साखरदंडे सहित अन्य पांच वकीलों ने पक्ष रखा तथा न्यायालय की तरफ से वरिष्ठ विधिज्ञ विरेंद्र तुलजापुरकर, एड. राहुल नेर्लेकर ने राज्य शासन की तरफ से मुख्य सरकारी वकील नेहा भीडे ने पक्ष रखा. स्वेच्छा से सेवानिवृत्ति रहे अथवा विशेष आयु तक पहुंचने के बाद सेवानिवृत्ति हो, निवृत्ति वेतन मिलने के लिए मैं पात्र हूं, ऐसा युक्तिवाद उनकी तरफ से किया गया.