विदर्भ

विदर्भ के किसानों के ‘अच्छे दिन’, पतंजली को रोजाना चाहिए 800 टन संतरे

एशिया के सबसे बडे फूड हर्बल पार्क का हुआ उद्घाटन

* 1500 करोड का प्रकल्प, 10 हजार रोजगार निर्मिती
नागपुर /दि. 8– एशिया महाद्वीप का सबसे बडा फूड एंड हर्बल पार्क (संतरा प्रक्रिया प्रकल्प) नागपुर के मिहान में पतंजली समूह की ओर से साकार किया गया है. जहां पर अत्याधुनिक तंत्रज्ञान के जरिए रोजाना 800 टन माल पर प्रक्रिया करने की क्षमता है. ऐसे में यह प्रकल्प विदर्भ के संतरा उत्पादक किसानों को नई संजीवनी और समृद्धि देनेवाला प्रकल्प साबित होगा. जिसके चलते उम्मीद जताई जा रही है कि, अब विदर्भ क्षेत्र के किसानों के ‘अच्छे दिन’ आनेवाले है.

* क्या है फूड हर्बल पार्क
मिहान में 225 एकड जमीन पर फूड एंड हर्बल पार्क को साकार किया गया है. जहां पर संतरा व मोसंबी जैसे फलों पर प्रक्रिया की जाएगी. 800 टन माल की प्रक्रिया क्षमता रहनेवाले इस प्रकल्प हेतु रोजाना 125 ट्रक संतरे व मोसंबी की जरुरत पडेगी. इसमें ‘ए’ ग्रेड के अलावा ‘बी’ व ‘सी’ ग्रेड वाले संतरे सहित बेमौसम पके उत्पादन तथा आंधी-तूफान की वजह से गलकर गिरे संतरे पर भी प्रक्रिया होगी.
– यह प्रकल्प शून्य कचरा यानी झिरो वेस्ट प्रणाली पर काम करेगा. संतरे का ज्यूस निकालने के बाद संतरे के छिलके व बीजो का भी योग्य उपयोग किया जाएगा. जिसके तहत सूखे हुए छिलकों से पावडर तथा बीजों से सुगंधित तेल का उत्पादन किया जाएगा.
-इस प्रकल्प के जरिए स्थानीय युवा प्रक्रिया उद्योग से संबंधित स्टार्टअप शुरु कर सकेंगे. जिसके लिए उन्हें पतंजली द्वारा सहयोग प्रदान किया जाएगा.

* आंवला रस व टोमॅटो पल्प का भी उत्पादन
कच्चे माल की उपलब्धता के अनुसार संतरा, मोसंबी, नीबू, आंवला, अनार, जाम, अंगूर, कुम्हडा, गाजर के रस, आम व संतरे के पल्प तथा प्याज व टमाटर के पल्प का भी यहां पर उत्पादन किया जाएगा. चूंकि सालभर में संतरे की उपलब्धता 90 से 100 दिन रहती है. जिसके चलते अन्य 250 दिनों के दौरान अन्य फलों पर प्रक्रिया की जाएगी.

‘अन्नदाता’ मंडी पर की जा सकेगी विक्री
किसानों द्वारा अपने संतरे व मोसंबी की पतंजली के ‘अन्नदाता’ नामक ऑनलाइन मंडी पर विक्री की जा सकेगी. जिसके लिए किसानों को फलों व उत्पादन की जानकारी देनी होगी. साथ ही वे खुद अपनी उपज के दाम निश्चित कर सकेंगे. जिसके बाद पतंजली द्वारा योग्य मूल्यांकन करते हुए किसानों से संतरे, मोसंबी, नीबू, आंवला, गाजर व टमाटर आदि की खरीदी की जाएगी.
– खास बात यह है कि, किसानों को अपना माल फूड हर्बल पार्क पर लाकर नहीं देना होगा, बल्कि किसानों से उपज खरीदने हेतु पतंजली द्वारा प्रमुख गांवों में संकलन केंद्र स्थापित किए जा रहे है.

* स्थानीयों को 100 फीसद रोजगार व प्रशिक्षण भी
यह प्रकल्प 1500 करोड रुपए का है, जिसके लिए अब तक एक हजार करोड रुपए का निवेश किया जा चुका है. पतंजली फूड हर्बल पार्क के जरिए 10 हजार रोजगार निर्मिती का लक्ष्य तय किया गया है. फिलहाल इस पार्क के विविध विभागों में 500 कर्मचारी कार्यरत है और आगे चलकर इस संख्या को और भी अधिक बढाया जाएगा. इस पार्क में रोजगार हेतु स्थानीयों को पहली प्राथमिकता देने की बात तय की गई है. जिसके लिए लगनेवाले आवश्यक कौशल्य ज्ञान का प्रशिक्षण भी पतंजली की ओर से दिया जाएगा.

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