विदर्भ

सरकारी की उदासीन नीति

संतरे के दाम केवल 10 रुपए किलो

* किसानों की व्यथा कब समझेगी सरकार?

मोर्शी/दि.13– खट्टे-मीठे स्वाद के लिए मोर्शी, वरूड, चांदूर बाजार, अचलपुर, नरखेड, काटोल सहित विदर्भ का संतरा पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. लेकिन पहले ही अतिवृष्टि की मार सहन करने के बाद अब बांग्लादेश के बढोतरी आयात शुल्क के कारण नागपुरी संतरा संकट में आ गया है. बांगलादेश ने संतरे पर आयात शुल्क बढाकर प्रति किलो करीब 88 रुपए किया है. जिसका असर निर्यात पर हो रहा है. जिसके कारण संतरे का उठाव कम हुआ है. परिणामस्वरूप संतरे के दाम में भारी गिरावट आई है. जनवरी महीने में 40 से 50 हजार रुपए प्रति टन से बिक्री होने वाला संतरा आज 10 ते 12 हजार रुपये टन तक आ गया है. जिसके कारण विदर्भ के संतरा उत्पादकों को आर्थिक नुकसान हो रहा है. व्यापारियों ने भी खरीदी की तरफ मुंह फेरने से आंबिया बहार का संतरा जनवरी माह में भी पेड पर ही है. किसानों का लागत खर्च भी निकलना कठिन है. कपास, तुअर, सोयाबीन आदि फसलों की तरह संतरे का भी गारंटी मूल्य सरकार ने तय करने की मांग राष्ट्रवादी कांग्रेस के तहसील उपाध्यक्ष रुपेश वालके ने सरकार से की है.

* 85 रुपए प्रतिकिलो सब्सिडी आवश्यक
नागपुरी संतरे की सर्वाधिक निर्यात बांग्लादेश में की जा रही है. बांग्लादेश ने संतरा आयात पर 88 रुपए प्रतिकिलो आयात शुल्क लगाया है. जिसकी वजह से नागपुरी संतरे की आयात 80 प्रतिशत से घटी है. संतरा निर्यात की निरंतरता कायम रखकर निर्यात बढाने के लिए केंद्र व राज्य सरकार ने निर्यात को 85 रुपए प्रतिकिलो सब्सिडी संतरा उत्पादक किसानों को देना आवश्यक है, ऐसी राय संतरा उत्पादक किसान रुपेश वालके ने व्यक्त की है.

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