विदर्भ

बकाया बिजली के बिलों के लिए शासन की गलत नीति जवाबदार

स्टेट इलेक्ट्रीसीटी वकर्स फेडरेशन का आरोप

नागपुर/प्रतिनिधि दि.२७ – राज्य में महावितरण कंपनी का बिजली उपभोक्ताओं पर 71 हजार करोड रुपयों का बिजली बिल बकाया है. जिसके लिए सरकार द्बारा बनाई गई नीतियां जवाबदार है ऐसा आरोप स्टेट इलेक्ट्रीसीटी वकर्स फेडरेशन द्बारा लगाया है. फेडरेशन के अनुसार 2013-14 तक बिजली बिलों की बकाया राशि 14 हजार 154 करोड थी. उसके पश्चात राज्य सरकार व ऊर्जा मंत्री द्धारा बिजली के बिलों में रियायत देने की घोषणा किए जाने के पश्चात बकाया राशि और भी बढ गई है. सात वर्षो में बकाया राशि बढकर 71 हजार करोड तक पहुंच चुकी है.
2020 में बकाया राशि 51 हजार करोड थी दिसंबर 2020 में यह आंकडा बढकर 71 हजार 506 करोड पर पहुंच चुका है. इस स्थिती में महावितरण के कर्मचारियों को ग्राहकों का गुस्सा झेलना पड रहा है और वसूली पर जोर दिया जा रहा है. राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने विधानसभा में बकाया बिलों को लेकर बिजली आपूर्ति खंडित नहीं की जाएगी ऐसी घोषणा की थी. किंतु अधिवेशन के समाप्त होते ही महावितरण द्बारा बिजली खंडित करने की कार्रवाई शुरु कर दी है.
महावितरण द्बारा सख्ती की वसूली किए जाने पर बिजली उपभोक्ता अपना गुस्सा कर्मचारियों पर निकाल रहे है. जिसमें कर्मचारियों व अभियंताओं पर हर रोज हमले हो रहे है ऐसा भी फेडरेशन द्बारा कहा गया. महावितरण कार्यालयों की तोडफोड भी की जा रही है. एक ओर वसूली नहीं किए जाने पर कर्मचारियों पर अधिकारी कार्रवाई की धमकियां दे रहे है. दूसरी ओर बकाया ग्राहक कर्मचारियों पर हमले कर रहे है. महावितरण कर्मचारी अपनी जान हथेली पर रखकर वसूली कर रहे है. जिसमें इन कर्मचारियों को पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए ऐसी मांग फेडरेशन द्बारा दिए गए पत्र में सरकार से की गई है.

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