मैं मुख्यमंत्री होता तो बच्चु कडू से इस्तीफा मांग लेता
वंचित आघाडी प्रमुख एड. प्रकाश आंबेडकर का कथन
नागपुर/दि.23 – संविधान और कानून ने मंत्री पद पर रहनेवाले किसी भी व्यक्ति को आंदोलन करने का अधिकार नहीं दिया है. ऐसे में यदि राज्यमंत्री बच्चु कडू हर बार आंदोलन करने के ही मूड में है तो उन्होंने सबसे पहले अपने मंत्रीपद से इस्तीफा देना चाहिए और उसके बाद सडक पर उतरकर आंदोलन करना चाहिए. इस आशय का प्रतिपादन करने के साथ ही वंचित बहुजन आघाडी के अध्यक्ष एड. प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि, यदि वे इस समय राज्य के मुख्यमंत्री रहे होते, तो निश्चित तौर पर बच्चु कडू से राज्यमंत्री पद का उन्होंने इस्तीफा मांगा होता.
यहां बुलायी गयी पत्रकार परिषद में उपरोक्त कथन करने के साथ ही एड. प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि, आगामी ग्राम पंचायत चुनाव में वंचित बहुजन आघाडी अपनी पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरेगी. जिसके लिए वे स्वयं विदर्भ क्षेत्र के दौरे पर निकले है और मंगलवार को पूर्वी विदर्भ के गोंदिया, नागपुर, भंडारा व वर्धा के कार्यकर्ताओं का सम्मेलन आयोजीत किया गया है. जिसमें वंचित आघाडी की ओर से सक्षम उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारने की रणनीति तय की गई है.
इस पत्रकार परिषद में वंचित बहुजन आघाडी के मुखिया एड. आंबेडकर ने कहा कि, अब तक केवल भाजपा और संघ पर ही संविधान विरोधी रहने के आरोप लगाये जाते थे, लेकिन इस समय राज्य की महाविकास आघाडी सरकार भी संविधान विरोधी भूमिका अपनाये हुए है. साथ ही एड. प्रकाश आंबेडकर ने संघ और भाजपा पर तानाशाही रवैय्या अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि, विगत 26 दिनों से दिल्ली की सीमा पर कई राज्यों के किसान दो से तीन डिग्री सेल्सियस के तापमान में खुले आसमान के नीचे आंदोलन कर रहे है. लेकिन इसके बावजूद भाजपा के नेतृत्ववाली केंद्र सरकार एवं भाजपा की शीर्ष संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा, तथा इस आंदोलन की जानबूझकर अनदेखी की जा रही है. एड. आंबेडकर के मुताबिक सरकार ने इस मामले में किसानों के साथ चर्चा करने का रास्ता भी खुला नहीं रखा है. यदि यह आंदोलन लंबा चल गया, तो देश में इसके दूरगामी परिणाम दिखाई दे सकते है.
आघाडी सरकार का किसानों को केवल शाब्दिक समर्थन
इस पत्रवार्ता में पूछे गये एक सवाल का जवाब देते हुए एड. प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि, राज्य की महाविकास आघाडी सरकार में शामिल तीनों दलों ने किसान आंदोलन को समर्थन देने की घोषणा की है. लेकिन यह समर्थन केवल शाब्दिक ही है और तीनों दलों ने किसानों की मांगों का समर्थन करने हेतु प्रत्यक्ष में कोई कदम नहीं उठाया है. एड. आंबेडकर के मुताबिक किसानों की उपज केवल कृषि उत्पन्न बाजार समिती में ही बेची जाये. इस हेतु एक अध्यादेश जारी किया जाना बेहद जरूरी है.