* मेडिकल के लाइसेंस की जांच भी मुश्किल
नागपुर/ दि. 27– दवाईयां और खान-पान की चीजों की जांच के लिए बने अन्न व औषध विभाग एफडीए का कामकाज रिक्तियों के कारण प्रभावित होने का दावा किया जा रहा है. आधे पद रिक्त होने से समय पर दवा विक्रेताओं के लायसेंस की भी पडताल नहीं हो पा रही. कैग ने भी इसकी दखल नहीं ली है. फलस्वरूप दवाई बनानेवाली कंपनियों के लाइसेंस जांच के काम प्रभावित हो रहे हैं. अमरावती संभाग मुख्यालय रहने पर भी यहां आयुक्त का पद बरसों से रिक्त है.
6 वर्षो में 22 हजार नमूनों की जांच
लोगों को नकली दवाइयां से बचाने के लिए विभाग का निर्माण किया गया. प्रतिवर्ष मेडिकल दुकानों और दवा कंपनियों की जांच का जिम्मा विभाग पर है. किंतु गत 6 वर्षो में 22800 सैम्पल की जांच हो पायी है. उनमें 1888 नमूने घटिया पाए गये. सूत्रों ने बताया कि एफडीए को 25802 का लक्ष्य इस अवधि में दिया गया था.
216 पद रिक्त
एफडीए में विविध वर्ग के 417 पद स्वीकृत है. उनमें से 216 अर्थात आधे से अधिक पद रिक्त है. दवा निरीक्षकों के 200 पदों में से 117 पद रिक्त है. जबकि वरिष्ठ तकनीकी सहायक के 45 में से 29 पदों पर बगैर किसी नियुक्ति के काम चल रहा है. ऐसे ही केमिस्ट के 13 पद रिक्त पडे है. स्पष्ट है कि इससे महकमे के जांच कार्य पर असर पडा है.
कैग भी नही ले रहा दखल
दवा निरीक्षकों को रिटेल दवा विक्रताओं के पास वर्ष में एक बार अवश्य भेंट देनी चाहिए. मेडिकल और उसके कामकाज का अवलोकन करना चाहिए. गत 6 वर्षो में 65 से भी अधिक कंपनियों की जांच मानव संसाधन के अभाव में नहीं हो पायी है. कंट्रोल व ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट में बताया गया कि 4954 कंपनियों में से मात्र 1182 कंपनियों की पडताल एफडीए कर सका है.
नये नियम, होटल की जांच
एफडीए के नये नियम लागू किए गये हैं. मिठाईयों सहित अल्पोहार की दुकानों की भी नियमित जांच का नियम है. बल्कि खाद्यान्न विक्रेताओं पर अनेक निर्बंध लगाये गये हैं. अफसर ही न होने से इन रेस्तरा की जांच का काम अधूरा पडा है.