नागपुर/दि.1– वागदरा शिवार में चाय व पान ठेला की जगह को लेकर हुए विवाद में तीन दोस्तों की तेज हथियार से निर्मम हत्या करनेवाला राजे छन्नुलाल बिरहा 55 की फांसी सजा मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ ने रद्द की है तथा उसे 30 साल तक कारावास की सुधारित सजा सुनाई है. न्यायूर्तिद्वय विनय जोशी व वाल्मिकी मेनेझेस ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया. यह दुर्लभ घटना नहीं. इसलिए आरोपी को फांसी की सजा नहीं दी जा सकती. परंतु आरोपी तीन लोगों की निर्मम हत्या की है. इसलिए उसके 30 साल कारावास की सजा सुनाई जा रहा है. तथा सरकार उसे इस सजा में बक्श नहीं सकती, ऐसा उच्च न्यायालय के फैसले में कहा गया है. सत्र न्यायालय में बिरहा को 28 दिसंबर 2022 को फांसी की सजा सुनाई थी.
फौजदारी प्रक्रिया संहिता की धारा 366 अनुसार इस सजा का अमल करने के लिए इसपर उच्च न्यायालय की मंजूरी अनिवार्य है. इसलिए सत्र न्यायालय ने यह मामला उच्च न्यायालय के समक्ष रखा था तथा इस सजा के खिलाफ बिरहा ने अपील दायर की थी. इस पर विगत जुलाई में अंतिम सुनवाई हुई. इसके बाद न्यायालय ने यह फैसला आरक्षित रखा था. समाज को दहलाने वाली यह घटना 17 नवंबर 2015 को सुबह 10 के करीब वागदरा शिवार, हिंगणा में हुई थी. मृतकों में सुनील हेमराज कोटांगले (31), आशीष उर्फ गोलू लहुभान गायकवाड (26) व कैलाश नारायण बहादुरे (32) का समावेश है. आरोपी राजू बिरहा ने निर्मम व अमानवीय तरीके से इन तीनों पर हमला कर उनकी हत्या कर दी थी. उच्च न्यायालय में सरकार की तरफ से एड.संजय डोईफोडे तथा आरोपी की तरफ से वरिष्ठ एड. अनिल मार्डीकर, व एड.सुमित जोशी ने कामकाज देखा.
* बिरहा कुख्यात आरोपी
राजू बिरहा कुख्यात आरोपी है. उसके खिलाफ नागपुर के सदर, अंबाझरी, व सोनेगांव पुलिस थाना में भी विविध गंभीर मामले दज्र है. पुलिस ने उसे तडीपार किया था.