नागपुर/दि.9 – कोरोना की दूसरी लहर खत्म होने जा रही है. तीसरी लहर की संभावना होने से लोगों में भय का वातावरण है. परंतु विगत दो माह में लोग अधिक संख्या में पॉजिटीव होने से ‘हर्ड इम्युनिटी’ तैयार होकर तीसरी लहर से कुछ प्रमाण में सुरक्षा हो सकती है. ऐसा विशेषज्ञों का कहना है.
कोरोना का देश में प्रवेश होने से लेकर ‘हर्ड इम्युनिटी’ यह शब्द भी चर्चा में आया है. किंतु आखिर क्या कारण है? ऐसा सवाल भी अनेको के सामने है. हर्ड इम्युनिटी यानी सामूहिक प्रतिकारक शक्ति ‘हर्ड’ का अर्थ समूह ऐसा है . ब्रिटेन के प्रिंंस्टन युनिवर्सिटी और सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स, एकोनोमिक्स एड पॉलिसी के वैज्ञानिक के मतानुसार कोरोना विषाणु को सीमित प्रमाण में रोग प्रतिकारक क्षमता अधिक रहनेवाले लोगों में फैलने दिया जाए तो सामूहिक तरीके से सभी में रोेग प्रतिकारक शक्ति तैयार हो सकती है. जानबूझकर हर्ड इम्युनिटी तैयार होने का प्रयोग करना हो तो नागरिको को कोरोना विषाणु को एक्सपोज किया जाता है. यानी नियम न पालकर लोगों में कोरोना संक्रमण होने दिया जाता है. शुरूआत में यह विषाणु बड़ी मात्रा में संंक्रमित होता है. धीरे-धीरे शरीर स्वयं के ही विषाणु विरोध में अॅटीबॉडी तैयार करने की शुरूआत करता है. थोडे दिनों बाद अपने शरीर कीें अॅटिबॉडी और रोगप्रतिकारक क्षमता के कारण अपनेा शरीर नई विषाणु के साथ ‘इम्यून’ होता है. शरीर इस विषाणु के साथ जीना सीखता है. किंतु जानबूझकर हर्ड इम्युनिटी बढाने का यह प्रयोग हानिकारक हो सकता है.
नापतोल का विशेष साधन नहीं
हर्ड इम्युनिटी संबंध में बोलते समय इस विषय के अभ्यासक व विदर्भ हॉस्पिटल एसो. के अध्यक्ष डॉ. अशोक अरबट ने कहा कि हर्ड इम्युनिटी यानी समूह प्रतिकारक शक्ति. माना की 60 प्रतिशत लोगों को बाधा हो तो उस समय शेष बकाया 40 प्रतिशत लोगों को मिलनेवाली सुरक्षा यानी हर्ड इम्युनिटी यह नापतोल का कोई विशेष साधन नहीं है. किंतु कितने की लोग पॉजिटीव हुए. इससे अनुमान नहीं लगाया जा सकता. ऐसा उन्होंने कहा