खामगांव/दि.3 – ग्रामपंचायत का चुनाव लडते समय न्यायप्रविष्ठ रहने वाले मामले की जानकारी शपथपत्र में न देने से लोगों के पिछडा प्रवर्ग के लिए आरक्षित सीट पर विजयी हुए उम्मीदवार का सदस्यत्व रद्द करने का आदेश मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने कल मंगलवार को दिये है. जलगांव जामोद तहसील के खांडवी स्थित विजयी उम्मीदवार बलिराम किसन सारोकार ने स्वयं ही दाखल की हुई याचिका पर यह निर्णय हुआ है. जिससे अब खांडवी में उस सीट के लिए उपचुनाव होगा.
ग्रामपंचायत के आम चुनाव में खांडवी स्थित प्रभाग 1 में लोगों के पिछडा प्रवर्ग के लिए सीट आरक्षित थी. उस सीट पर बलिराम किसन सारोकार ने उम्मीदवारी दाखिल की. उनकी अर्जी पर समीर किसन सारोकार ने आपत्ति ली. उसमें बलिराम के पास ग्रामपंचायत का टैक्स बकाया है तथा भादंवि की धारा 307 के तहत दर्ज अपराध का मामला खामगांव न्यायालय में न्यायप्रविष्ठ है, ऐसा कहा था. साथ ही यह जानकारी बलिराम ने अपने शपथपत्र में उल्लेखित न करने की बात कही थी. उस समय जलगांव जामोद स्थित चुनाव निर्णय अधिकारी ने 31 जनवरी को उम्मीदवारी आवेदन रद्द किया. इस आदेश को बलिराम सारोकार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी.
न्यायालय ने 4 जनवरी को अंतरिम आदेश देते हुए इस मामले में न्यायालय के निर्णय के अधिन रहकर चुनाव लडने को मंजूरी दी. उसके बाद चुनाव में बलिराम सारोकार को 237 वोट मिलने से वे विजयी हुए. इस मामले की अंतिम सुनवाई कल मंगलवार को एकलपीठ के न्यायमूर्ति वी.एम.देशपांडे के सामने हुई. उसमें बलिराम सारोकार ने नाम निर्देशन पत्र के साथ शपथपत्र में अपराध बाबत जानकारी छिपाने की बात सामने आयी. जिससे उनकी याचिका ग्राह्य नहीं मानी जा सकती, ऐसा कहते हुए न्यायालय ने उनका ग्रामपंचायत सदस्यत्व ही रद्द करने का आदेश दिया है. इस मामले में समीर सारोकार अपक्ष एड.राम कारोडे ने रखा. जबकि याचिकाकर्ता की ओर से एड.गोपाल मिश्रा तथा चुनाव निर्णय अधिकारी की ओर से सरकारी वकील श्रीमती बारब्दे ने पक्ष रखा.