विदर्भ

हाईकोर्ट ने पूछा-जेल में राजू का व्यवहार कैसा

गत दिसंबर में सुनाई गई सजा ए मौत

नागपुर/दि.13– वागदरा शिवार में चाय-पानटपरी के झगडे को लेकर तीन मित्रों को सत्तूर से काट डालने वाले मजरीम राजू छन्नूलाल बिरहा (55) का जेल में व्यवहार कैसा है, यह प्रश्न उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने पूछा है. जेल अधीक्षक से इस बारे में न्या. विनय जोशी और न्या. वाल्मिकी मेनेजेस ने रिपोर्ट मांगी है. मंगलवार को जेल अधीक्षक को यह रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करनी है. अदालत को राजू बिरहा की फांसी की सजा पर सुनवाई कर फैसला देना है. उसे गत 28 दिसंबर को जिला व सत्र न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई है.

* 2015 की घटना
यह मामला 17 नवंबर 2015 को हुए तिहरे हत्याकांड का है. आरोपी बिरहा ने अपने तीन मित्रों सुनील हेमराज कोटांगले (31), आशीष उर्फ लहुभान गायकवाड (26) तथा कैलाश नारायण बहादुरे (32) को नारीयल काटने वाले सत्तूर से वार कर मार डाला. आरोपी ने क्रूरता से यह कृत्य किया. इसलिए सत्र न्यायालय ने सजाए मौत सुना रखी है.

* हाईकोर्ट में याचिका
आरोपी की तरफ से एड. अनिल मार्डिकर और एड. सुमीत जोशी ने कोर्ट में पैरवी की. फांसी की सजा पर उच्च न्यायालय की मुहर बंधनकारक है. इस प्रकरण में गत जुलाई में अंतिम सुनवाई हो गई. न्यायालय ने निर्णय सुरक्षित रखा है. आरोपी बिरहा 17 नवंबर 2015 से जेल में है. अत: कोर्ट ने उसके व्यवहार की रिपोर्ट मांगी है. जो आगामी 17 अक्तूबर को पेश की जानी है. सरकार की तरफ से एड. संजय डोईफोडे ने पैरवी की.

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