विदर्भ

हाईकोर्ट ने किया 5 लाख का दंड रद्द

संशय के आधार पर नहीं चलता कानून

नागपुर/दि.28– बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने एक प्रकरण में केवल संशय के आधार पर लगाया गया जुर्माना निरस्त कर दिया. न्या. अविनाश घरोटे ने यह निर्णय दिया. कोर्ट ने सावनेर के अजहरुद्दीन रैन को राहत दी.
राजस्व अधिकारियों ने 3 सितंबर 2018 को रैन का जेसीबी जब्त किया था. दरअसल जेसीबी को रेत लगी थी. जिसके कारण अधिकारियों ने शक किया कि अवैध रेत उत्खनन हेतु इस जेसीबी वाहन का उपयोग किया गया होगा. राजस्व संहिता के तहत उपविभागीय अधिकारी ने 25 जनवरी 2022 को 5 लाख रुपए जुर्माने का आदेश दिया. जिसे रैन ने अपने वकील एड. अश्विन इंगोले के जरिए उच्च न्यायालय में चुनौती दी. कोर्ट में एड. इंगोले ने कहा कि उस वाहन से रेत के अवैध उत्खनन का प्रशासन के पास कोई ठोस सबूत नहीं है. कार्रवाई केवल संदेह के चलते की गई है. एड. इंगोले के युक्तिवाद को कोर्ट ने ग्राह्य माना.

* तीन बाघों का शिकार, आरोपी को जमानत नहीं
हाईकोर्ट ने एक अन्य निर्णय में तीन बाघों के शिकार में लिप्त टोली के सदस्य मानराज इवनाते की जमानत अर्जी ठुकरा दी. न्या. गोविंद सानप की एकल पीठ ने यह फैसला सुनाया. कोर्ट में अभियोजन पक्ष ने बताया कि आरोपी को 5 वर्ष बाद बडी मुश्किल से पकडा गया है. उसे जमानत देना गलत होगा. कोर्ट ने यह बात मान्य की. आरोपी के विरुद्ध 26 जून 2017 को एफआईआर दर्ज की गई थी. कोर्ट में बताया गया कि इस मामले में 17 आरोपी है. यह टोली बाघों को जहर देकर, बिजली का आघात देकर मार डालती है. उन्होंने वन सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देते हुए बाघों की शिकार की है. निसर्ग का संतुलन कायम रखने वन्य जीवोें का संरक्षण आवश्यक है. इस प्रकार शिकार से बाघों का अस्तित्व नष्ट होगा. इसलिए इवनाते को जमानत नहीं दी जा सकती. सरकार की तरफ से एड. तृप्ती उदेशी ने पैरवी की.

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