विदर्भ

हाईकोर्ट ने दी सेवानिवृत्त सेना अधिकारी को राहत

विभागीय जांच को किया रफा-दफा

नागपुर/दि.10 – बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने विभागीय जांच में घिरे सेवानिवृत्त सेना अधिकारी को राहत दी है. न्या. सुनील शुक्रे व न्या. अविनाश घारोटे की खंडपीठ ने सेवानिवृत्त कर्नल इवान सिंह के खिलाफ जारी विभागीय जांच को रफा-दफा करके उन्हें सेवानिवृत्त घोषित किया है.
दरअसल याचिकाकर्ता ने नागपुर के 118-इंफेंटरी बटालियन (टेरिटोरियल आर्मी) के कुछ अधिकारियों के खिलाफ अनियमितता की शिकायत की थी. इस मामले में जांच तोत पूरी नहीं हुई, लेकिन याचिकाकर्ता पर ही अनियमितता के आरोप पर विभागीय जांच बैठा दी गई. 16 अप्रैल 2020 को उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. इसके बाद 30 जून 2020 को जब वे सेवानिवृत्त हुए, इसी दिन उन्हें हिरासत में लेने का आदेश जारी किया गया. उनके हाईकोर्ट में याचिका दायर करने पर कोर्ट के अंतरिम आदेश पर उन्हें रिहा किया गया.
सेना ने अपनी कार्रवाई के बचाव में कोर्ट में दलील दी कि याचिकाकर्ता व्दारा जांच में सहयोग नहीं करने के कारण उन्हें हिरासत में रखना पड़ा. जहां उन्हें अपने बचाव के पूरे मौके दिये गए. लेकिन याचिकाकर्ता ने इस दलील का विरोध किया. दलील दी कि इस प्रकार की कार्रवाई तभी की जा सकती है, जब संबंधित अधिकारी का कोर्ट मार्शल का फैसला लिया गया हो. जबकि चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ ने पहले ही फैसला ले लिया था कि याचिकाकर्ता के खिलाफ किसी कोर्ट मार्शल की जरुरत नहीं है. इस मामले में सभी पक्षों को सुनकर हाईकोर्ट ने यह माना कि आर्मी एक्ट धारा 123 के प्रावधानों के तहत याचिकाकर्ता की 24 दिन की हिरासत को तो गलत नहीं माना जा सकता, लेकिन मामले में अन्य तथ्यों और सबूतों के आधार पर यह तय है कि 16 अप्रैल 2020 के नोटिस के तहत याचिकाकर्ता के खिलाफ जांच आगे बढ़ाने या उन्हें फिर से हिरासत में में लेने की जरुरत नहीं है. ऐसे में याचिकाकर्ता को सेवानिवृत्त घोषित कर ने की विनती कोर्ट ने मान्य कर ली.

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