विदर्भ

प्रकल्पग्रस्तों के आरक्षण अमल के बारे में हाईकोर्ट ने की पूछताछ

मुख्य सचिव से मांगा प्रतिज्ञापत्र

नागपुर/दि.3– सरकार के विविध विभागों के रिक्त पद भरते समय प्रकल्पग्रस्तों को लागू रहने वाले आरक्षण का कडाई से अमल किया जाता है क्या? इस बारे में मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ ने राज्य के मुख्य सचिव व सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव से पूछताछ की और इस पर आगामी 1 फरवरी तक प्रतिज्ञापत्र पेश करने का आदेश दिया. इस संदर्भ में गोंदिया जिले के संतोष चुटे व अन्य 14 प्रकल्पग्रस्तों ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है. जिस पर न्यायमूर्तिद्वय नितिन सांबरे व अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई.

राज्यघटना व महाराष्ट्र प्रकल्पग्रस्त लोगों का पुनर्वास कानून के प्रावधान नुसार सरकारी विभागों में रिक्त पद भरते समय प्रकल्पग्रस्तों को पांच प्रतिशत आरक्षण देना अनिवार्य है. इसलिए रिक्त पद भरने के लिए विज्ञापन प्रकाशित करने से पूर्व पिछडावर्गीय विभाग की अनुमति लेनी होती है. परंतु इन दिनों रिक्त पद भरते समय कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. कई विज्ञापनों में प्रकल्पग्रस्तों के लिए पद आरक्षित नहीं रखे गए, ऐसा याचिकाकर्ताओं का कहना है. प्रकल्पग्रस्तों के आरक्षण का कडाई से अमल होने के लिए सरकार को आवश्यक आदेश जारी करें, यह अनुरोध उन्होंने न्यायालय से किया है. याचिकाकर्ता की तरफ से एड.अनिल ढवस व एड.कौस्तुभ भिसे ने कामकाज देखा.

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