विदर्भ

उच्च न्यायालय का काम पेपरलेस

29 करोड पन्नों का डिजीटलकरण

नागपुर/दि. 23– मुंबई उच्च न्यायालय की सभी खंडपीठ की प्रक्रिया पेपरलेस कामकाज की तरफ शुरू है. उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने दायर होनेवाले प्रकरण, कामकाज के दस्तावेजों का डिजीटलकरण किया जानेवाला है. इसमें करीबन 29 करोड पन्नों का समावेश है. इसके लिए शासन की तरफ से 41.70 करोड रूपए खर्च किए जानेवाले है.

सर्वोच्च न्यायालय के सर न्यायाधीश धनंजय चंद्रचुड की नियुक्ति होते हीे उन्होंने अधिक से अधिक डिजीटल कामकाज पर जोर दिया है. इस कारण ई-कोर्ट प्रकल्प को भी गति मिली है. ई-कोर्ट प्रणाली मुंबई से कार्यान्वित हो रही है. मुुंबई उच्च न्यायालय के पास की सिटीओ इमारत ने राज्य शासन ने जगह किराए से लेकर स्वतंत्र कक्ष स्थापित किया है. न्यायदान का कामकाज सुलभ होेने के साथ ही पक्षकार, वकीलों को न्यायालयीन कामकाज की सभी जानकारी ऑनलाइन स्वरूप में मिल सके इसलिए यह प्रकल्प शुरू किया जा रहा है. इसी के आगामी चरण के रूप में 41 करोड 70 लाख 48 हजार रूपए खर्च कर नागपुर समेत औरंगाबाद खंडपीठ के 29 करोड पन्नों का स्कैनिंग व डिजीटलकरण किया जा रहा है. डेटासॉफ्ट कम्प्यूटर सर्विस प्रा. लि. नामक कंपनी को यह काम दिया गया है. इसके पूर्व उच्च न्यायालय में ऑनलाइन सुनवाई की दृष्टि से उपयुक्त साहित्य शासन की तरफ से दिया गया है. न्यायहित की दृष्टि से इसका इस्तेमाल शुरू हुआ है. राज्य के अन्य कारागृह में रहे आरोपी और गंभीर, सुरक्षा की द़ृष्टि से पेश न कर पाने आरोपियों को इस प्रणाली के जरिए उपस्थित किया जाता है, ऐसी जानकारी नागपुर खंडपीठ के सूत्रों ने दी.

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