विदर्भ

महावितरण से जुड़ी शिकायतों पर हाईकोर्ट का फैसला

ग्राहक निवारण आयोग कर सकता है शिकायतों पर सुनवाई

नागपुर/दि.22 – महावितरण के आंतरिक ग्राहक शिकायत निवारण कक्ष द्बारा शिकायत के दो वर्ष बाद भी कार्रवाई नहीं करने पर ग्राहक उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग की शरण ले सकते हैं. बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने हाल ही में एक याचिका की सुनवाई में यह निर्णय दिया है. महावितरण ने हिंगणा स्थित मेसर्स आरएसआर मोहता सूत गिरणी पर अप्रैल 2010 से नवंबर 2012 तक की अवधि का बिजली उपयोग कर लगाया. सूत गिरणी ने मामले में ग्राहक शिकायत निवारण आयोग में शिकायत की. आयोग ने महावितरण का फैसला सही करार दिया, तो याचिकाकर्ता ने उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग की शरण ली.

अर्जी खारिज कर दी

आयोग ने इस तर्क के साथ अर्जी खारिज कर दी कि अर्जी दो वर्ष की कालावधी के भीतर दायर नहीं की गई. इसके बाद बिजली आयोग के पास से लोकपाल के पास मामले की सुनवाई हुई. 26 अगस्त 2017 को लोकपाल ने आयोग के फैसले को अवैध करार देकर महावितरण की कर वसूली के 1 जून 2015 के आदेश को रद्द किया. साथ ही कंपनी द्बारा जमा कराई गई रकम भी लौटाने के आदेश दिए. मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया.

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