विदर्भ

निजी स्कूलों की मनमानी फीस वृध्दि के खिलाफ हाइकोर्ट की शरण

पालक संगठन की याचिका पर निजी स्कूल को नोटिस

नागपुर/दि.8 – जागरुक पालक संगठन के योगेश पाथरे ने निजी स्कूलों की मनमानी फीस वृध्दि के खिलाफ बॉम्बे हाइकोर्ट की नागपुर खंडपीठ की शरण ली है. याचिकाकर्ता ने निजी स्कूलों की फीस वृध्दि पर सरकारी नियंत्रण के आदेश जारी करने की प्रार्थना हाईकोर्ट से की है. मामले में शुक्रवार को न्या. सुनील शुक्रे और न्या. अविनाश घारोटे की खंडपीठ में सुनवाई हुई, जिसमें याचिकाकर्ता का पक्ष सुनकर हाईकोर्ट ने प्रतिवादी राज्य स्कूल शिक्षा विभाग व अन्य को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब मांगा है.
याचिकाकर्ता के अनुसार शहर के निजी स्कूल हर साल करीब 18 से 25 प्रतिशत फीस बढ़ा रहे हैं. जबकि राज्य सरकार का नियम है कि निजी स्कूल तीन साल में एक बार ही फीस बढ़ा सकते हैं. पालक जब इस पर स्कूल प्रबंधन से जवाब मांगते हैं तो उन्हें जवाब नहीं दिया जाता. स्कूल से लौटा दिया जाता है. याचिकाकर्ता के अनुसार उन्होंने सर्वप्रथम 21 जून 2019 को जिलाधिकारी को निवेदन सौपकर सालाना फीस के मुख्यमंत्री से लेकर विविध सरकारी स्तर और निजी स्कूल प्रबंधनों को संगठन ने अनेक बार पत्र सौंपे, लेकिन कोई हल नहीं निकला. इसके अलावा याचिका में स्कूल फीस में कमी का भी मुद्दा उठाया गया है. कोरोना संक्रमण के चलते बीते डेढ़ वर्ष से स्कूल बंद है. बावजूद स्कूल पालकों से पूरी फीस वसूल रहे हैं. कोरोना संकट में कई पालकों की नौकरी चली गई है. कोई आर्थिक मंदी से गुजर रहा है. बावजूद स्कूलों की फीस लाखों के आंकड़े में है.

ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं तो फीस कम क्यों न हो

पालकों की मांग है कि यदि स्कूल ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं तो फीस में भी कमी होनी चाहिए. पालक केवल 50 प्रतिशत फीस भरने में ही सक्षम है. याचिका में निजी स्कूलों के फीस स्ट्रक्चर में समानता लाकर उसे सरकारी नियंत्रण में रखने की मांग की गई है.

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