यवतमाल की वरुड ग्राप चुनाव पर हाईकोर्ट का स्टे

सरकार के निर्णय को सरपंच, उपसरपंच ने दी थी चुनौती

नागपुर/दि.10 – मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने यवतमाल जिले के रालेगांव तहसील अंतर्गत आनेवाली वरुड ग्रामपंचायत चुनाव पर स्टे दिया है. न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे व न्यायमूर्ति अनिल पानसरे की खंडपीठ व्दारा आदेश जारी किए गए.
जानकारी के अनुसार वरुड ग्रामपंचायत को अनुसूचित जनजाति की बहुलता होने से ग्रामपंचायत अधिनियम 1996 के तहत पेसा एक्ट में शामिल किया गया है. इस अधिनियम को केंद्र सरकार ने जारी करने से जगह और तालाब पर ग्राम पंचायत का अधिकार होता है इस लिहाज से ग्राम सभा के निर्णय को ही मान्य किया जाता है. ऐसे में सरपंच और उपसरपंच ने ग्राम सचिव के साथ मिलकर ग्रामपंचायत की मासिक सभा में मछली पालन के लिए तालाब की नीलामी प्रक्रिया की इस संबंध में यवतमाल जिप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने अमरावती विभागीय आयुक्त को अपनी रिपोर्ट भेजी. पूरे मामले में उपसरपंच व सरपंच पर कार्रवाई करने की अनुशंसा प्रस्ताव में की गई. मामले में सरपंच को पक्ष रखने का अवसर दिया गया. किंतु उपसरपंच के पक्ष में सुनवाई नहीं हुई.
इसी बीच सरपंच व उपसरपंच को पद से हटा दिया गया था जिसके विरोध में राज्य सरकार के पास 29 सितंबर को अपील की गई. इस अपील में मामले पर स्थगन देने के की मांग की गई. लेकिन सरकार की ओर से कोई भी निर्णय नहीं लिया गया वहीं दूसरी ओर तहसीलदार ने ग्रामपंचायत सदस्यों के चुनाव की घोषणा कर दी इस निर्णय को सरपंच व उपसरपंच ने अधिवक्ता महेश धात्रक के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी. याचिका में तर्क दिया गया है कि पेसा एक्ट में तालाब की नीलामी का अधिकारी ग्रामसभा को नहीं बल्कि ग्राम पंचायत को होता है.

ग्राम विकास मंत्री को तीन माह के भीतर फैसला लेने का निर्देश

न्यायमूर्ति सुनील शुके्र व न्यायमूर्ति अनिल पानसरे ने ग्रामविकास मंत्री को इस मामले में तीन माह के भीतर फैसला लेने के निर्देश दिए है. इसके साथ ही सरपंच व उपसरपंच पद के लिए स्थगन के चलते ग्रामपंचायत सदस्यों के लिए निर्वाचन प्रक्रिया रोक दी है. उपसरपंच की ओर से अधिवक्ता महेश धात्रक ने पैरवी की.

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