विदर्भ

हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट की दरें वाहन मालिकों से जबरन वसूली

हाई कोर्ट में जनहित याचिका द्वारा चुनौती

राज्य सरकार से मांगा स्पष्टीकरण

नागपुर/दि.7-राज्य में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (एचएसआरपी) की दर को बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ में चुनौती दी गई है. आरोप है कि ये दरें वाहन मालिकों से आर्थिक जबरन वसूली हैं. कोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के भीतर स्पष्टीकरण पेश करने का निर्देश दिया.
मामले की सुनवाई जस्टिस नितिन सांबरेे और वृषाली जोशी के समक्ष हुई. एचएसआरपी दर के खिलाफ डिजिटल मीडिया पत्रकार सुदर्शन बागडे की जनहित याचिका दायर किया गया है. सडक सुरक्षा सुनिश्चित करने, वाहन अपराधों को रोकने और यातायात नियमों को सख्ती से लागू करने के उद्देश्य से 1 अप्रैल, 2019 से पहले पंजीकृत वाहनों के लिए एचएसआरपी अनिवार्य कर दिया गया है. हालांकि, ‘एचएसआरपी’ की दरें तय करते समय कोई समय सीमा नहीं थी. देश में ‘एचएसआरपी’ की दरें महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा हैं. पडोसी गोवा में दोपहिया वाहन एचएसआरपी’ के लिए 155 रुपये और कार की एचएसआरपी’ के लिए 203 रु. लिए जा रहे है. हालाँकि, महाराष्ट्र में क्रमशः 450 रुपये और 745 रुपये वसूले जा रहे हैं. साथ ही इस पर 18 फीसदी जीएसटी भी वसूला जा रहा है. आंध्र प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और पंजाब में निर्धारित अवधि के भीतर एचएम टैक्स लगाने पर यदि दर महाराष्ट्र से कम नहीं है तो 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा और एचएसआरपी लेवी से पुराना जुर्माना भी वसूला जाएगा. इसलिए हाई कोर्ट को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और राज्य में सस्ती दरें तय होने तक पहली एसआरपी को निलंबित करना चाहिए और पुराने जुर्माने की वसूली को रद्द करना चाहिए, ऐसा याचिकाकर्ता का कहना है.
* सबसे ज्यादा असर आम लोगों पर
लगभग 80 प्रतिशत दोपहिया वाहन हैं. इसलिए एचएस राज्य में लगभग 3 करोड 6 लाख पंजीकृत वाहन हैं. उस दर से सबसे ज्यादा मार आम नागरिकों पर पडेगी क्योंकि महंगाई पहले से ही आसमान छू रही है. ऐसे में नागरिक ‘एचएसआरपी’ का खामियाजा नहीं भुगत सकते, याचिकाकर्ता ने कोर्ट का ध्यान इस ओर खींचा है. याचिकाकर्ता की ओर से एड. संतोष चव्हाण ने मामले की पैरवी की.
* कानून के नाम पर भ्रष्टाचार
रोसमेर्टा सेफ्टी, रियल मॅझोेन इंडिया और एफटीए एचएसआरपी सॉल्यूशंस को वाहनों पर एचएसआरपी लगाने के लिए 600 करोड रुपये का ठेका दिया गया है और कंपनियों ने मिलीभगत कर कानून के नाम पर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है. साथ ही याचिकाकर्ताओं ने यह भी गंभीर आरोप लगाया है कि यह राज्य पर भारी-भरकम योजनाओं का वित्तीय बोझ कम करने की मंशा है.

Back to top button