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विदर्भ में घट रही बाघों की संख्या
नागपुर/दि. १८ – विदर्भ में बाघों की संख्या ज्यादा होने के कारण महाराष्ट्र राज्य की उपराजधानी माने जाने वाले नागपुर को टायगर कैपिटल घोषित किया है. परंतु यह कैपिटल कागजों तक ही सीमित है. वन अधिकारियों की लापरवाही और अनदेखी के चलते मानव और वन्यजीवों में हमेशा संघर्ष दिखाई देता है और शिकारियों की बढती हलचलों के कारण ही विदर्भ में खासतोर पर चंद्रपुर जिले में स्थित ताडोबा वन परिक्षेत्र में बाघों की संख्या कम हो रही है.
मानव व वन्यजीव संघर्ष के कारण ही सरकार के आदेशानुसार बाघों को मारने या उन्हें नागपुर के गोरेवाडा के वाइल्ड लाइफ रेस्क्यू सेंटर में रखा जाता है. आज भी गोरेवाडा में कई बाघ हैं, जिन्हें अभी भी मुक्त नहीं किया गया है. मिली जानकारी के अनुसार संपूर्ण भारत में २९६७ बाघ मौजूद हैं. इनमें से महाराष्ट्र में ३१२ बाघ का वास्तव है. अकेले विदर्भ में ही ३०० से अधिक बाघ हैं. भले ही विदर्भवासियों के लिए यह खुशी की बात है. मगर ५० बाघोें को यहा से शिफ्ट करने की चर्चा सुनाई दे रही है. इस बात से वन्यजीव प्रेमियों में नाराजगी का सूर दिखाई दे रहा है. वन्यजीव प्रेमियों ने बाघों को शिकारियों की चंगूल से बचाने के लिए कडे कानूनी बनाने की मांग की है.
१५ दिनों में तीन बाघों की शिकार
बीते १५ दिनों में तीन बाघों की शिकार किये जाने का मामला उजागर हुआ है. हाल की स्थिति में गोंदिया जिले के चुटिया टोला में बाघ की शिकार होने की खबर मिली है. इसके पहले चंद्रपुर के ताडोबा और ब्रम्हपुरी में बाघों का शिकार हुआ है. लाख दावों और योजनाओं के बावजूद भी बाघ और तेंदुओं की शिकार होने की घटनाओं में बढोतरी हो ही रही है. वन विभाग के अधिकारी इस ओर नजरअंदाज कर रहे है. कम होते जंगल और वन्यजीवों की बढती संख्या के कारण वन्य प्राणियों के मृत्यु की संख्या में बढोतरी हो रही हेै. वर्तमान में विदर्भ के जंगलों में बाघों की संख्या ३०० से अधिक होने की बात कही जा रही है. समय रहते शिकार की घटनाओं पर पाबंदी नहीं लायी जाती तो निश्चित ही वह दिन दूर नहीं कि वदर्भ के जंगलों में बाघों को ढुंडने के लिए दुर्बिन इस्तेमाल किया जाएगा.