विदर्भ

हिंदी विश्‍वविद्यालय ने दी मृदुला सिन्‍हा को श्रद्धांजलि

वर्धा, दि. १९: प्रसिद्ध साहित्‍यकार और गोवा की पूर्व राज्‍यपाल मृदुला सिन्‍हा के निधन पर उन्‍हें महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय में ऑनलाइन भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई. विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल ने श्रीमती मृदुला सिन्‍हा को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए विश्‍वविद्यालय के साथ जुड़े उनके संबंधों का जिक्र किया.  उन्‍होंने कहा कि श्रीमती सिन्‍हा काविश्‍वविद्यालय के साथ गहरा नाता रहा है. उन्‍होंने 2018 में आयोजित विश्‍वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह में दीक्षांत भाषण दिया था. विश्‍वविद्यालय द्वारा आयोजित बाबासाहेब ई-ज्ञान श्रृंखला के अंतर्गत श्रीमती सिन्‍हा ने हाल ही में संबोधित किया था. कुलपति प्रो. शुक्‍ल ने कहा कि श्रीमती सिन्‍हा के निधन से विश्‍वविद्यालय परिवार शोकमग्‍न है.
श्रीमती मृदुला सिन्‍हा का 18 नवंबर 2020 को निधन हुआ। वह 77 वर्ष की थीं. मूल रूप से बिहार राज्‍य की निवासी सिन्‍हा एक समाज सेवी के अलावा कुशल लेखिका भी थीं. श्रीमती सिन्‍हा पाँचवाँ स्तम्भ के नाम से एक सामाजिक पत्रिका निकालती रही हैं. श्रीमती सिन्हा अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमन्त्रित्व-काल में केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. उनकी पुस्तक एक थी रानी ऐसी भी की पृष्ठभूमि पर आधारित राजमाता विजया राजे सिन्धिया को लेकर एक फिल्म भी बनी थी. मनोविज्ञान में एम.ए. करने के बाद उन्होंने बी.एड. किया और मुजफ्फरपुर के एक कॉलेज में बतौर प्रवक्ता अपनी सेवायें दी. कुछ समय तक मोतीहारी के एक विद्यालय में प्रिंसिपल भी रहीं. उन्होंने हिन्दी साहित्य की सेवा के लिये स्वयं को समर्पित कर दिया था। उनकी प्रकाशित कृतियां हैं: राजपथ से लोकपथ पर (जीवनी), नई देवयानी (उपन्यास), ज्यों मेंहदी को रंग (उपन्यास), घरवास(उपन्यास), यायावरी आँखों से (लेखों का संग्रह), देखन में छोटे लगें (कहानी संग्रह), सीता पुनि बोलीं(उपन्यास), बिहार की लोककथायें -एक (कहानी संग्रह), बिहार की लोककथायें -दो (कहानी संग्रह), ढाई बीघा जमीन (कहानी संग्रह), मात्र देह नहीं है औरत (स्त्री-विमर्श), विकास का विश्‍वास (लेखों का संग्रह), साक्षात्‍कार(कहानी संग्रह). शोकसभा में दो मिनट का मौन रखकर श्रीमती मृदुला सिन्‍हा को मौन श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

 

 

 

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