अंबाजोगाई (जि.बीड)/दि.14 – एक समय ऐसा था जब दूसरे गांव जाने के लिए घोड़े से जाना पड़ता था. यातायात के लिए दूसरा साधन ही उपलब्ध नहीं था. लेकिन अब यातायात के साधन मुबलक पैमाने पर उपलब्ध होने के बावजूद भी कोई घोड़े से यात्रा कर रहा हो तो? और उस पर भी कोई छात्रा स्कूल में सीधे घोड़े पर बैठकर जा रही है, ऐसा बताया गया तो कोई भी विश्वास नहीं करेगा. लेकिन यह प्रत्यक्ष में बीड जिले में हुआ है.
अंबाजोगाई तहसील के कांगणेवाडी की एक छात्रा स्कूल जाने के लिए रोज घोड़े पर बैठकर पांच किलोमीटर की यात्रा करती है. लॉकडाऊन के कारण विगत डेढ़ वर्ष से स्कूल बंद थी. अब संसर्ग कम होने से स्कूल शुरु हुई है लेकिन एसटी की हड़ताल के कारण स्कूल कैसे जाना, ऐसा प्रश्न ग्रामीण भागों के विद्यार्थियों के सामने उपस्थित हुआ है. ऐसे में कांगणेवाडी की माधवी कांगणे नामक सातवीं कक्षा की छात्रा ने एसटी बस कब शुरु होगी, इसका इंतजार न करते हुए अपने घर के घोड़े से ही उजनी के सिद्धेश्वर विद्यालय की राह पकड़ी. स्कूल के बाजू मेंं ही स्थित खेत के गोठे में वह घोड़े को बांधती है. माधवी के इस धाड़स पर शिक्षणाधिकारी चंदन कुलकर्णी, शाला पर्यवेक्षक आर.एन. लोमटे, शिक्षक लालासाहब गायकवाड़ आदि ने गौरव किया.
पिता ने ही दी सीख
माधवी के पिता दशरथ कांघणे को घोड़ा संभालने का शौक है. अपने दोनों बच्चों को उन्होंने बचपन में ही घोड़ेसवारी करना सीखाया. मालेगांव की यात्रा से उन्होंने यह घोड़ी लायी थी. उस समय वह आठ महीने की थी. उसका सबसे अधिक पालन पोषण माधवी ने ही किया है. उसे पढ़ाई में दिक्कत न हो, इसलिए घोड़े से स्कूल जाने की अनुमति दिए जाने की बात दशरथ कांगणे ने दी.
- माधवी के पिता ने घोड़े से स्कूल जाने के लिए अनुमति दी है. एसटी बस बंद है. पालकों की जिम्मेदारी पर उसे स्कूल आने के लिए अनुमति दी गई है.
– डी.एस.बंडगर, मुख्याध्यापक, सिद्धेश्वर विद्यालय