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वित्त व लेखा विभाग को लिया घेरे में
नागपुर/दि.2 – राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विद्यापीठ के पूर्व कुलसचिव डॉ. पूरण मेश्राम ने वित्त व लेखा विभाग के कामकाज पर सवालिया निशान उपस्थित करते हुए कुलगुरू से शिकायत की है. साथ ही जानना चाहा है कि, विद्यापीठ के 191 करोड रूपये की निधी को निजी बैंकों में किस आधार पर निवेश किया गया है. इस मामले में विद्यापीठ का करोडों रूपयों का नुकसान होने का दावा करते हुए उन्होंने वित्त व लेखाधिकारी के खिलाफ जांच करने की भी मांग की है.
वहीं दूसरी ओर वित्त व लेखाधिकारी डॉ. राजू हिवसे ने इन सभी आरोपों का खंडन करते हुए विधि सभा की जांच समिती द्वारा इस मामले में क्लिनचिट दिये जाने का दावा किया गया है. जानकारी के मुताबिक वर्ष 2018 में विद्यापीठ की निधी को निवेश करने हेतु वित्त व लेखाधिकारी की अध्यक्षता में एक समिती गठित की गई थी. जिसमें उप कुलसचिव अर्चना भोयर भी शामिल थी. बैंक ऑफ इंडिया में परिपक्व हो चुकी 177 करोड रूपयों की रकम को अन्य बैंकों में निवेश करने हेतु कम से कम पांच राष्ट्रीयकृत बैंकों से ब्याजदर का कोटेशन मंगाना आवश्यक था, लेकिन ऐसा किये बिना ही विद्यापीठ के वित्त व लेखा विभाग द्वारा 191 करोड रूपये की निधी को निजी बैंकों में निवेश किया गया. ऐसा आरोप पूर्व कुलसचिव डॉ. पूरण मेश्राम द्वारा लगाया गया है.
किसी भी तरह की गडबडी या नुकसान नहीं
इस मामले में वित्त व लेखाधिकारी डॉ. हिवसे का कहना रहा कि, नियमानुसार ही पूरी प्रक्रिया का पालन करते हुए विद्यापीठ की रकम का निवेश किया गया. इस हेतु विधीसभा द्वारा गठित जांच समिती ने भी पाया कि, ऐसा करने से विद्यापीठ का किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ है और किसी तरह के नियमों का उल्लंघन भी नहीं हुआ है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, विगत पांच वर्षों के दौरान किसी भी तरह की कोई आर्थिक गडबडी नहीं हुई है. ऐसे में उन पर तथा वित्त व लेखा विभाग पर लगाये जानेवाले सभी आरोप तथ्यहीन है.