* किसान हित में आंदोलन, केदार पर निशाना
नागपुर/ दि.23– बच्चू कडू का राजकीय कार्यक्षेत्र अमरावती जिला है. यहां उनकी प्रहार जनशक्ति पार्टी के दो विधायक है. अब वे पक्ष विस्तार के लिए गंभीरता से प्रयासरत है. उन्होंने प्रहार के 15 विधानसभा क्षेत्र में उम्मीदवार उतारने की भी घोषणा कर रखी है. कभी लोकसभा में पहुंचने का प्रयास करने वाले चार बार के विधायक कडू ने सीधे उपराजधानी नागपुर में राजनीतिक पैठ बनाने प्रयास शुरु किये है. हाल के उनके नागपुर दौरे के बाद जिला बैंक की कथित किसान विरोधी नीलामी उन्होंने रुकवाई. इस आंदोलन के बाद जानकार मान रहे है कि, कडू ने भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के गृह नगर का रुख किया है.
कडू के नेतृत्व में मंगलवार को नागपुर जिला बैंक कार्यालय के सामने आंदोलन किया गया. बकायदार किसानों की जमीन बैंक नीलाम करने जा रही थी. कडू ने नीलामी रुकवाई. उन्होंने कांग्रेस नेता सुनील केदार से घोटाले की राशि पहले वसूलने की मांग की. कडू के आंदोलन की राजनीतिक हलकों में बडी चर्चा है. प्रहार का नागपुर में विशेष प्रभाव नहीं रहने के बावजूद वे फडणवीस के शहर में आंदोलन करने से चर्चा में आ गए. राजकीय महत्व प्राप्त होने के साथ प्रहार पक्ष विस्तार की दृष्टि से भी देखा जा रहा है.
कडू 2009 तक अपने अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र तक सीमित थे. पास की चांदूर बाजार और अन्य पालिका पर उन्होंने प्रहार का दबदबा बनाया. मेलघाट से राजकुमार पटेल को साथ लेकर विधान सभा में प्रहार का परचम लहराया. मविआ सरकार में शिवसेना के कोटे से वे राज्यमंत्री बने. तब से प्रहार के विस्तार पर उन्होंने ध्यान देना आरंभ किया हेै. अकोला के पालकमंत्री रहते उन्होंने बुलढाणा तक प्रहार की शाखा के विस्तार हेतु प्रयास किये.
पूर्व विदर्भ में कडू सक्रीय रहे है. उनके पास गोंदिया-भंडारा में कार्यकर्ता है. गोसिखुर्द परियोजना पर भी प्रहार ने प्रकल्प पीडितों के लिए आंदोलन किया था. नागपुर में निजी शालाओं व्दारा मनमानी फीस वसूलने पर कडू ने मंत्री रहने के कारण अंकुश लगाने का प्रयास किया था. जिससे नागपुर के अभिभावकों के संगठन से कडू जुड गए थे. किंतु उस मुद्दे को राजनीतिक नजरिये से नहीं देखा गया था.
शिंदे-फडणवीस सरकार में मंत्रीपद नहीं मिलने से कडू विविध आंदोलन के माध्यम से सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे है. उन्होंने नागपुर में किसानों के मुद्दे में हाथ डाला. फडणवीस से चर्चा कर मुद्दा हल करने की कोशिश करने की बजाय आंदोलन का मार्ग अपनाया.