विदर्भ

पति साबित नहीं कर सका पत्नी की मानसिक क्रूरता

हाईकोर्ट ने रद्द किया तलाक

नागपुर/प्रतिनिधि दि.९ – बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि, पत्नी द्बारा दर्ज कराए गए अपराधिक मामले में यदि पति और ससुराल वाले बरी हो जाएं, तो भी पति इसे मानसिक क्रूरता बता कर पत्नी से तलाक नहीं ले सकता. इस आधार पर तलाक देना ही न्याय की दृष्टि से उचित नहीं है. नागपुर खंडपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय के विविध आदेशों का हवाला लेकर यह निष्कर्ष दिया है.
इसी आधार पर नागपुर पारिवारिक न्यायालय मंजूर किये गये तलाक के फैसले को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. इतना ही नहीं हाईकोर्ट में इस अपील के विचाराधीन रहते पति द्बारा किए गए दूसरे विवाह को भी अवैध घोषित किया है. इस मामले में से संबंधित दम्पत्ति शहर के जरिपटका निवासी है. उनका विवाह जनवरी 2007 में हुआ था. पति का आरोप था कि, पायलट बनने की इच्छुक पत्नी बार-बार मुंबई जाने की जिद किया करती थी. जिद पूरी नहीं होने पर वह पति और ससुराल वालों से बुरा बर्ताव करती थी. यहां तक की पत्नी ने उनके खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज करा दिया था, लेकिन कोर्ट में पत्नी के आरोप साबित नहीं हुआ और वे सब मामले में बरी कर दिए गए.
पति के अनुसार पत्नी ने ऐसा बर्ताव करके उसके साथ मानसिक कू्ररता की है. पत्नी अपने ससुराल में भी नहीं रहती थी. पारिवारिक न्यायालय ने इन दलीलों को स्वीकार करके तलाक मंजूर कर लिया. मगर पत्नी द्बारा हाईकोर्ट में दायर अपील में यह निकल कर आया कि, पत्नी पायलट की ट्रेनिंग ले रही थी, इस वजह से वह मुंबई और बारामती में रहा करती थी. पति को शराब की लत होने के कारण उनके विवाद हुआ करते थे. यही नहीं तलाब के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील विचाराधीन होने के बावजूद पति ने दूसरा विवाह कर लिया.

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