
नागपुर /दि. 6- शहरों के विकास प्रारुप में विविध उद्देश्यों हेतु निर्धारीत की गई जमिनों का आरक्षण राज्य सरकार व स्थानीय प्राधिकरण की निष्क्रियता के चलते रद्द होने को लेकर मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने काफी गंभीर भूमिका अपनाई है और राज्य सरकार को जमकर आडे हाथ लेते हुए कहा है कि, यदि सरकार अपनी जिम्मेदारियों के साथ न्याय नहीं कर सकी तो सरकार ने नियोजन विभाग को ही बंद कर देना चाहिए. इसे हाईकोर्ट की ओर से राज्य सरकार के लिए बेहद कडी फटकार माना जा रहा है.
जानकारी के मुताबिक नियोजन विभाग ने 30 जून 1998 को मंजूर किए गए चंद्रपुर शहर के विकास प्रारुप में खुटाला स्थित खसरा क्रमांक 113/7 की जमीन को उद्यान हेतु आरक्षित किया था. जिसके बाद सक्षम प्राधिकरण के तौर पर म्हाडा द्वारा इस जमीन को 10 वर्ष की कालावधि के भीतर संपादित करना अनिवार्य था. परंतु वर्ष 2020 तक म्हाडा ने इस बात की ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया. वहीं जमीन मालिक शकीला खोब्रागडे द्वारा 31 दिसंबर 2020 को जमीन संपादन की नोटिस भेजे जाने के बाद म्हाडा की नींद खुली और म्हाडा ने यह जमीन संपादित करने हेतु राज्य सरकार से 52 करोड रुपयों की मांग की. परंतु सरकार ने यह रकम अदा नहीं की. जिसके परिणामस्वरुप महाराष्ट्र प्रादेशिक व नगररचना अधिनियम की धारा 127 के अनुसार इस जमीन का आरक्षण दिसंबर 2022 में रद्द हो गया. जिसके चलते शकीला खोब्रागडे ने अपनी जमीन खुद को वापिस मिलने हेतु हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. जिस पर न्या. अविनाश घारोटे व न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई. अदालत ने इस मामले की सभी तथ्यों और पहले के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार को जमकर आडे हाथ लिया. साथ ही इस जमीन का आरक्षण रद्द होने की घोषणा करते हुए आगामी चार सप्ताह के भीतर इससे संबंधित अधिसूचना जारी करने का आदेश राज्य सरकार को दिया.
* क्या कहा अदालत ने?
– केवल राज्य सरकार व म्हाडा की लापरवाही चलते जमीन का आरक्षण रद्द होने की परिस्थिति निर्माण हुई. यह स्थिति बेहद निराशाजनक है.
– विकास प्रारुप में खुली जगह का सार्वजनिक उपयोग, सडक व उद्यान हेतु किया गया. भू-आरक्षण रद्द नहीं होगा, इस हेतु राज्य सरकार व स्थानीय प्राधिकरण द्वारा भविष्य में त्वरीत निर्णय लिए जाने की अपेक्षा है.
– यदि भविष्य में भी राज्य सरकार व स्थानीय प्राधिकरण की निष्क्रियता के चलते जमीन का आरक्षण रद्द होने की बात सामने आती है तो संबंधितों के खिलाफ कठोर दंड लगाया जाएगा, ऐसा अदालत का कहना रहा.