विदर्भ

राजस्थान के ऊँट मोर्शी में

ग्रीष्मकाल शुरू होते ही पानी व चारे की खोज में आते है

मोर्शी /दि.2– मार्च माह में गर्मी बढ जाने से बुरा हाल हो रहा है. अप्रैल और मई माह में मौसम विभाग की ओर से अनेक जगहों का तापमान और बढने की संभावना व्यक्त की गई है. ऐसा राजस्थान के कुछ परिवार अपने साथ ऊँट व भेडे लेकर मोर्शी तहसील में आए है. ऊँट यह रेगिस्तान के जहाज के रूप में जाना जाता है. फिलहाल मोर्शी तहसील मं ग्रामीण क्षेत्र के रास्ते पर रेगिस्तान में जहाज व भेडियां घूमते हुए दिखाई दे रहे है. ऊँट व भेड पालनेवाले परिवारों को हर साल रोजगार और चारे की खोज में भटकना पडता है. राजस्थान में रहनेवाला यह परिवार चारे व पानी की खोज में हर साल हजारों मील चलकर ग्रीष्मकाल की शुरूआत में जिले में आते है. राजस्थान में ग्रीष्मकाल में पानी व चारे का अभाव होता है.वहां के अनेक परिवारों को लगभग उंट भेडे दूसरे राज्य में ले जाकर उनके खाने पीने की व्यवस्था करनी पडती है. इस उद्देश्य से अनेक राजस्थानी परिवार मोर्शी परिसर में निवास करने लगे है.

जब ऊँट चारा खाता है तब कुछ समय बाद वो खाया हुआ चारे को जमा करके रखता है. वह 20 दिन तक बिना पानी का रह सकता है. लेकिन लंबी यात्रा करते समय उसे पानी पिलाए तो वह एक समय में 100 लीटर पानी पी लेता है. विशेष बात यह है कि ऊँट को एक बार रास्ता समझ में आ गया तो वह मालिक न होकर भी मार्गक्रमण कर सकता है.

 

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