विदर्भ

विदेशी छात्रवृत्ति के लिए आठ लाख रुपए की आयसीमा अन्यायकारक

राज्य सरकार के निर्णय पर जताई जा रही आपत्ति

नागपुर/दि.09-सामाजिक न्याय विभाग द्वारा दी जाने वाली विदेशी स्कॉलरशिप योजना के बारे में राज्य सरकार का नया परिपत्र विवादों के घेरे में है. समान नीति लागू करने के नाम पर अनुसूचित जाति-जनजाति के विद्यार्थियों के लिए 75 प्रतिशत अंकों की शर्त लगाने के बाद अब 8 लाख रुपए की आयसीमा रहने वाले ही योजना का लाभ ले सकेंगे, इस शर्त पर आपत्ति जताई जा रही है. इस शर्त के कारण मध्यमवर्गीय पिरसर के अनुसूचित जाति-जनजाति के विद्यार्थियों का नुकसान होगा, ऐसी भय व्यक्त किया जा रहा है.

महाराष्ट्र सरकार के छत्रपति शाहू महाराज विदेशी छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत हर साल अनुसूचित जाति के 75 विद्यार्थी अंतरराष्ट्रीय विद्यापीठ में प्रवेश लेते है. इसी प्रकार अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए भी विदेशी स्कॉलरशीप की योजना है. सामाजिक न्याय विभाग की डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर संशोधन व प्रशिक्षण संस्था (बार्टी) व आदिवासी संशोधन व प्रशिक्षण संस्था (तार्टी) के माध्यम से योजना चलाई जाती है. लेकिन राज्य सरकार के 9 नवंबर 2023 के शुद्धिपत्रक के अनुसार इसके आगे बार्टी, तार्टी, महाज्योति, सारथी व अमृत इन संस्था के माध्यम से चलाई जाने वाली विविध योजना का लाभ लेने के लिए सारथी इस संस्था के मानक नहीं माने जाएंगे.

* कोर्ट में लगाएंगे गुहार
विदेशी छात्रवृत्ति का लाभ लेने के लिए 75 प्रतिशत अंकों की शर्त के साथ 8 लाख की आयसीमा अनिवार्य रहेगी. सामाजिक न्याय विभाग द्वारा विदेशी छात्रवृत्ति योजना संबंध में अब तक कोई सूचना जारी नहीं हुई है. इसमें यह मानक लागू किए गए तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे, यह चेतावनी सामाजिक संगठनों ने दी है.

* योजना पूर्ववत करें
विदेशी छात्रवृत्ति योजना सामाजिक न्याय विभाग की स्वतंत्र योजना है. इसलिए समान नीति तत्व के मानक इस योजना में लागू नहीं कर सकते. अनुसूचित जाती व जनजाति इन दो वर्गों के लिए संविधान में विशेष प्रावधान है. इसलिए अन्य प्रवर्ग की योजना के तुलनात्मक मानक लगाना यह राज्य सरकार का निर्णय असंवैधानिक व अन्यायकारक है. इसलिए 8 आठ की आयसीमा रद्द कर यह योजना पूर्ववत करें, अन्यथा इसके खिलाफ कोर्ट में जाएंगे.
-अतुल खोब्रागडे, युवा ग्रॅज्युएट फोरम

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