* वन परिक्षेत्र में नए लोगों पर कडी नजर रखने की जरूरत
नागपुर/दि.14– विदर्भ में जहां एक ओर बाघों की संख्या बढ रही है, वहीं दूसरी ओर उनकी मृत्यु का प्रमाण भी बढ रहा है. जिससे कारण चिंता जताई जा रही है. नागपुर वन परिक्षेत्र में रविवार को एक बाघ की तीव्र ह्दयाघात व फेफडे खराब हो जाने की जानकारी प्राथमिक रिपोर्ट में सामने आई. शव के नमुने जांच के लिए लैब में भेजे गए हे. बल्लारपुर में दो बाघों की लडाई में एक बाघ की मौत हो गई. पिछले साल देश में महाराष्ट्र में सबसे अधिक 41 बाघों की मृत्यु हुई थी.
राज्य में बाघों की संख्या बढ रही है, यह गौरव की बात है. लेकिन उनके संवर्धन और सुरक्षा की ओर ज्यादा ध्यान देना जरूरी है. 2012 में वन विभाग ने सकारात्मक कदम उठाते हुए करीब 32 बहेलिया शिकारियों को पकडा था. इसमें पहली बार शिकार करने वाले मुख्य सूत्रधार को दिल्ली से गिरफ्तार किया था. नेपाल मार्ग से होनेवाले बाघ के चमडी की तस्करी पर निर्बंध लगाए गए थे. शिकारियों पर लगाम कसने के बाद भी गडचिरोली में तथा कुछ शिकारी महाराष्ट्र में सक्रिय होने की जानकारी सामने आई है. इस पर निर्बंध लगाने के लिए ग्रीष्मकाल में ही जंगल में गश्त और हर गांव के पुलिस पटेल के माध्यम से नए लोगों पर कडी नजर रखना जरूरी है, ऐसा वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है.
* चंद्रपुर जिले में सबसे ज्यादा मृत्यु
विदर्भ में विगत साढेचार महिने में 13 बाघों की मृत्यु हुई है. इसमें सात प्राकृतिक, एक दुर्घटना और पांच बाघों की मौत कैसे हुई, इसकी जांच शुरु है. इसमें भंडारा, चंद्रपुर, पारशिवनी, बल्लारशाह सहित और एक बाघ का समावेश है. सबसे ज्यादा मृत्यु होने वाले 8 बाघ चंद्रपुर जिले के है. इसके बाद यवतमाल वन विभाग में 2, नागपुर जिले के प्रत्येकी तीन बाघों का समावेश है.