विदर्भ

इलेक्ट्रॉनिक कचरा पैदा करने में भारत तीसरे स्थान पर

नागपूर /दि.12  सभी पर्यावरणीय समस्याएँ उपभोक्तावाद से संबंधित हैं. पृथ्वी के संसाधनों की खपत दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. जैसे-जैसे भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, कचरे की मात्रा भी बढ़ती जा रही है. पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन केंद्र की पूर्व सलाहकार संचिता जिंदल ने बताया कि भारत दुनिया में प्लास्टिक कचरा पैदा करने में पांचवें और ई-कचरा पैदा करने में तीसरे स्थान पर है.

एल. ए. डी. एवं श्रीमती आर. पी. ने  वीमेंस कॉलेज में ‘ग्रीन अर्थ-क्लीन अर्थ’ विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन में ‘स्वच्छ एवं हरित पृथ्वी के लिए इलेक्ट्रॉनिक कचरा’ विषय पर बोल रही थीं. राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. संजय दुधे, महिला शिक्षा समिति के अध्यक्ष एडवोकेट. डॉ. सुनील मनोहर, डॉ. दीपाली चहांडे उपस्थित थीं. जिंदल ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा शुरू की जा रही विभिन्न पर्यावरण संरक्षण योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी और कहा कि टिकाऊ अपशिष्ट प्रबंधन, रीसाइक्लिंग, ‘मेक-मेक-मेक’ आर्थिक चक्र फायदेमंद हो सकता है.

नागपुर वन विभाग के वन संरक्षक श्री लक्ष्मी अन्नबाथुला और महिला शिक्षा सोसायटी के उपाध्यक्ष डॉ. अविनाश देशमुख उपस्थित थे. इस अवसर पर तनवीर मिर्जा, आनंद भावलकर और प्रशांत वानखेड़े को सम्मानित किया गया. मृणालिनी थोम्बारे ने रिपोर्ट प्रस्तुत की. मीनाक्षी कुलकर्णी ने संचालन किया जबकि संयोजिका प्रचिति बागड़े ने धन्यवाद ज्ञापित किया.

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