विदर्भ

भारतीय संस्कृति यह मूर्तिकला व स्थापत्य कला की विश्वगुरू

प.पू. जितेन्द्रनाथ महाराज का प्रतिपादन

  • राधाबाई सारडा महाविद्यालय में आयोजन

अंजनगांवसुर्जी/दि.21 – भारतीय संस्कृति यह अति प्राचीन है तथा यह पूरी दुनिया को मूर्तिकला व स्थापत्य कला सिखानेवाली जननी व गुरू है. ऐसा मत प.पू. जितेन्द्रनाथ महाराज ने व्यक्त किया. वे श्रीमती राधाबाई सारडा कला, वाणिज्य व विज्ञान महाविद्यालय द्वारा मूर्तिकला व स्थापत्य कला पर आयोजित राष्ट्रीय ई-परिषद में उद्घाटकीय वक्ता के रूप में आमंत्रित थे. मूर्तिशास्त्र संशोधन सोसायटी महाराष्ट्र राज्य पुरस्कृत वार्षिक परिषद के आयोजन का सम्मान राधाबाई सारडा महाविद्यालय, अंजनगांव सुर्जी को मिला. इस वार्षिक आयोजन की परंपरा आगे भी इसी तरह रहे. ऐसी आशा परिषद के सभी मान्यवरों ने रखी है. इस परिषद के लिए संपूर्ण देश से हजारों अभ्यासक व संशोधक उपस्थित थे. प्रा. दीपक कन्नाल गुजरात ने उनके बीज भाषण में मुर्तिकला की विविध प्रवास व विविध देश की मूर्तिकला की विशेषता का उल्लेख किया.
परिषद के दूसरे सत्र के उत्तरप्रदेश के वक्ता प्रा. मारूति नंदन तिवारी ने जैन मूर्ति कला के विविध पहलुओं का शास्त्रोक्त अभ्यास श्रोता के सामने रखा. इस सत्र के अध्यक्ष मराठी व अंग्रेजी भाषा से कितने ही ग्रंथ लिखकर मूर्तिकला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान नांदेड के प्रा. प्रभाकर देव ने दिया. परिषद के दूसरे सत्र के मुख्य वक्ता तेलंगना के डॉ. जे. मोतीलाल ने भारतीय मंदिर वास्तुकला का संशोधन पर विश्लेषण किया. इस सत्र के अध्यक्षस्थान पर साठे महाविद्यालय मुुंबई के प्राचीन भारतीय संस्कृति व बुध्दिसट स्टडीज विभाग प्रमुख डॉ. सूरज पंडित थे.
इस समारोपीय सत्र के प्रमुख अतिथि केशरबाई लाहोटी महाविद्यालय के निवृत्त प्रा. डॉ. जी. के. माने ने विदर्भ के मंदिर वस्तुकला पर उदाहरण सहित विवेचन किया. समारोपीय सत्र के अध्यक्ष स्थान पर अखिल भारतीय राष्ट्रीय शिक्षा मंच के राज्याध्यक्ष प्रा. प्रदीप खेडकर थे. इस परिषद के लिए सारडा एज्युकेशन सोसायटी के अध्यक्ष अभय सारडा की विशेष उपस्थिति थी.उद्घाटकीय सत्र में डॉ. अरविंद सोनटक्के, भोकर, नांदेड, डॉ. संतोष बनसोड व डॉ. विजेता चौबे, प्राचार्य, शासकीय महाविद्यालय , बैतूल यह प्रमुख रूप से उपस्थित थे. प्रास्ताविक इतिहास विभाग के डॉ. नितीन सराफ ने किया. उसी प्रकार डॉ. अरविंद सोनटक्के ने संस्था के ध्येय व उद्देश्य बताए. संचालन अ्रंग्रेजी विभाग प्रमुख डॉ. बीना राठी ने किया. इस कार्यक्रम में डॉ. संगीता जवंजाल, डॉ. विवेक पाटिल, नविता मालनी, डॉ. चतुरानंद केदार, इंदल जाधव, संगीता छाबा, प्रशांत नांदुरकर, डॉ. मंगेश डगवाल, डॉ. नितीन घोडीले, गोपाल बागडी, सतीश बेलसरे, रामचंद्र कुलकर्णी, डॉ. सतीश मार्डीकर उपस्थित थे.

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